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स्तुति

मैं शिवा तुम्हारी
भजन, स्तुति

मैं शिवा तुम्हारी

निरुपमा मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** तुम हो शिव मैं शिवा तुम्हारी, प्रेम संगिनी प्रेम रागिनी। तुम हो शिव..... जब तुम करते नृत्य मनोहर, पग थिरके डमरू के स्वर पर, भाव भंगिमा सुंदर चितवन, करे प्रफुल्लित देवों का मन, तब नर्तक नटराज की गौरी, समा जाए मुद्रा में तेरी। तुम हो शिव...... जब तुम करते जग का चिंतन, कष्ट देख व्यथित होता मन, जन कल्याण हेतु दुख भंजन, तज कर सर्प चन्द्र का बंधन, रत समाधि होते त्रिपुरारी, तब मैं बनती साधना तुम्हारी। तुम हो शिव........ जब होता सागर का मंथन, विष को देख करे जग क्रंदन, सब मिल करें प्रार्थना तुम्हारी, सुन लो शिव वंदना हमारी, नहीं रुके पल भर को शंकर, विषपान करें अंजुल भर कर, हुआ कंठ जब नील तुम्हारा, कर रखकर कर विष रोका सारा, तुम पीड़ा से मौन हो गए, तब मैं बन गई वेदना तुम्हारी। तुम हो शिव मैं शिवा तुम्हारी।...
नर्मदा
भजन, स्तुति

नर्मदा

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अमरकंटक शिखर उद्भूता होहि अरब सागर विलीना नर्मदा अति पुण्य सलिला दूजा नाम मेकलसुता, रेवा बड़ी रोचक ऐहि उत्पत्ति कथा शिव स्वेद से जन्मी एक कन्या तासु नाम भयो तब नर्मदा गंगास्नान से जो पुण्य फल होई सोई फल नर्मदा दर्शन मात्र से होई सोनभद्र नाम एक राजा जब देखहि पिता मेखल तासु शुभ विवाह इच्छहि विवाह पूर्व सोनभद्र दर्शन उपजी इच्छा नर्मदा देखी तहां सोनभद्र संग दूजी कन्या तेहि अवसर नर्मदा मन क्रोध उपजा दुखित मन लीन्ही एक दृढ़ प्रतिज्ञा विवाह न करहू संकल्प तब लीन्हा विपरीत प्रवाह तेहि अवसर कीन्हा जासु हर पाषाण भयो ईश्वर रे मन! तासु पुण्य दर्शन कर रसना भज हर-हर नर्मदे ! पापनाशिनी सर्व कलुष हर ले परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधि...
बसन्ती बहार
कविता, स्तुति

बसन्ती बहार

रुचिता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आ गया ऋतुराज बसन्त लेकर प्रेम की नई तरंग हर तरफ सुनहरी छटा है बिखरी प्रकृति दुल्हन जैसी है निखरी खेतों में पक गई सरसों की बाली फलों से लद गई अम्बुआ की डाली प्रेम रंग में रंगी है धरती सारी फूलों पर मंडरा रही तितलियाँ प्यारी चल रही शीतल मन्द बयार मतवाली हर तरफ फैली है खुशहाली माँ भगवती भी लेकर अवतार देने आई बुद्धि-विद्या का उपहार करें हम माँ की आराधना बार-बार सब पर हो माँ शारदा की कृपा अपार श्वेताम्बर धारिणी, वीणा वादिनी दे दो माँ मेरे भावों को शब्दों का आकार नित नव रचना का सृजन करू मैं दो मेरी लेखनी को अपना आशीर्वाद परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप ...
मेरे कान्हा जी
भजन, स्तुति

मेरे कान्हा जी

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मुझे अपना मीत बनाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी सखियों के संग रिझाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी रासिको का रास सिखाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी प्रेम की अनुभूति करवाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी माखन चुराना सिखाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी निर्गुण से सगुण का भेद समझाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी रणक्षेत्र का अर्जुन बनाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी गीता का ज्ञान करवाओ मेरे कान्हा जी, मुझमें भी भक्ति का भाव जगाओ मेरे कान्हा जी, परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ह...
शरणागत
भजन, स्तुति

शरणागत

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं दीनहीन दुखीयार हूं मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं जन्म-जन्म का मारा हूं मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं हर जगह से हारा हूं मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। रोग शोक ने मुझे घेरा है मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं अज्ञान अंधकार में डूब रहा मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं चेतन से जड़ बन रहा मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं हर दिन पाप कर्म कर रहा मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं तेरी खोज में हर पल भटक रहा मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं तेरे प्रेम स्नेह के लिए तरस रहा मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता ...
नितिन राघव ने अपनी एक कविता में सम्पूर्ण रामायण का सबसे छोटा सारांश लिखकर बनाया इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड
धर्म, धर्म-आस्था, भजन, साहित्यिक, स्तुति

नितिन राघव ने अपनी एक कविता में सम्पूर्ण रामायण का सबसे छोटा सारांश लिखकर बनाया इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड

नितिन राघव बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** बुलन्दशहर। राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच के रचनाकार २१ वर्षीय नितिन राघव बी.एड प्रथम वर्ष के छात्र हैं तथा अपनी लेखनी के द्वारा साहित्य की सेवा कर रहे हैं। आपने अब तक अनेक कविताएं, कहानियां और निबंध लिखें हैं। अपने इन्हीं कार्यों के लिए समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी हो चुके हैं। और अबकी बार उन्होंने एक और महान उपलब्धि हासिल की है, जिसके पता चलते ही उनके परिवार और गांव वाले खुशी से झूम उठे। २१ वर्षीय नितिन राघव ने अपनी एक कविता में सम्पूर्ण रामायण लिखकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया और इसी के साथ उन लोगों की भी राह आसान कर दी जो रामायण को लम्बा ग्रन्थ होने के कारण पढ नहीं पाते थे क्योंकि इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास समय कम है परन्तु अब रामायण को एक ही कविता में पढा जा सकता है। इसी के साथ ...
देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम
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देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम | मातु नर्मदे तुम्हे प्रणाम || अर्चन वंदन आठों याम, देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम | शिव तनुजा, गणपति की अनुजा | तारणी देव, दनुज अरु मनुजा || दर्शन से पूरण सब काम, देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम | कल-कल, छल-छल बहतीं रहतीं | हरित वसन वसुधा को देतीं || शुभ्र शिशोभित तट, तरू ग्राम देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम| जल तेरा है पावन निर्मल | स्वार्थ हमारे से है घायल || गहन चिकित्सा महती काम, देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम | तुम पौराणिक सरित, सुदर्शनी| तीर्थ, तटों पर पर्व प्रदर्शनी || सुखदायक वरदायक नाम, देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम | अमृत, गरल हो रहा बहता | स्वच्छ करो कल-कल स्वर कहता सहज नहीं, "गंभीर" है काम, देवी नर्मदे तुम्हें प्रणाम || परिचय :- राम स्वरूप राव "गम्भीर" (तबला शिक्षक) निवास...
मर्यादा की मूरत राम
भजन, स्तुति

मर्यादा की मूरत राम

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** माँ कौशल्या की कोख से नृप दशरथ सुत जन्में राम। नवमी तिथि चैत्र मास को अयोध्या का था रनिवास।। निहाल हुए अयोध्यावासी, बजने लगी चहुंओर बधाई। जन जन के अहोभाग्य हो, मानुज तन ले प्रगटे रघुराई।। माता पिता की करते सेवा नित, न्योछावर थे खुशियों की खातिर। छोड़ दिये सुख राज महल के, माँ कैकई के दो वचन खातिर।। पिता की आज्ञा मान गये वन, विश्व बंधुत्व का भाव भर कर। जनकसुता का किया वरण, शिव धनुष भंग स्वयंवर में कर।। चौदह वर्षों के वनवास काल में, राक्षसों, दैत्यों का संहार किया। शबरी के जूठे बेरों को खाकर, नवधा भक्ति दे उद्धार किया. पुत्र, भाई, दोस्त की बने मिसाल, सबकी चिंता को मन में लाये। अपनी चिंता का ध्यान न कर, रावणवध से आतंक मिटाए।। पर ज्ञानी रावण की विद्वता को, अंतरमन से स्वीकार ...
श्री लधूनेश्वर महादेव
भजन, स्तुति

श्री लधूनेश्वर महादेव

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** कूर्मावताराभिधान जनपद में, लधून महादेव तीर्थ है | चंद राजार्चित महादेव का, लधून महादेव तीर्थ है || होती समर्पित नवबाल जहाँ, लधून महादेव तीर्थ है | वैशाख शुक्ल चतुर्दशी जाते, श्री लधून महादेव तीर्थ हैं || कर समर्पण नवान्न नैवेद्य, होता वहाँ महादेवार्चन है | होती अपरा बृहत्पूजा जहाँ, लधून महादेव तीर्थ है || कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी, जागरण होता बैकुण्ठ चतुर्दशी | होता बृहत्मेलायोजन सदा, तिथि कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी || कर शिवार्चना तृतीय प्रहर, लधून महादेव तीर्थ पर हैं | रुद्र यज्ञ होता संपन्न जहाँ, लधून महादेव तीर्थ है || बैठ ध्यान में लिंग शक्ति के, देवियां मांगती जहां वरदान हैं | अद्भुत धाम महादेव का, लधून महादेव तीर्थ है || उषाकाल ले भास्कर किरण, आता डोला लधूनेश्वर का है | जहां भक्त परिक्रमावलोकन करें,...
माँ दुर्गा स्तुति
भजन, स्तुति

माँ दुर्गा स्तुति

प्रमोद गुप्त जहांगीराबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** ॐ ह्रीं दुंदुर्गाये नमः, नमस्कार स्वीकार करो ! मुझे भँवर से पार करो माँ, तुम मेरा उद्धार करो । धूं धूं धूमावती ठ ठ, सारे सुख प्रदान करो, करो क्षमा माँ मेरी गलती, और मेरा कल्याण करो । सब की सब बाधाएँ हर लो, दूर क्लेश-विकार करो, रोग-मुक्त, सुख-शान्ति युक्त, माँ मेरा परिवार करो । मेरे अंधकार को हर लो, जय ज्योति माँ जय ज्वाला, मुझको इतनी श्रद्धा दे दो, हो जाऊं मैं मतवाला । मुझे गति दो श्रेष्ठ-मार्ग पर, आगे ही बढ़ता जाऊं, नहीं क्षति हो चाहे मैं, चट्टानों से टकरा जाऊं । लक्ष्मीवान, यशवान बनूँ मैं, ऐसे कर्म कराओ माँ, कोई न शत्रु रहे जगत में, ऐसा ज्ञान सिखाओ माँ । तुझमें और कर्म में मेरी, पूरी-पूरी निष्ठा हो माँ, कोई कटु शब्द ना बोले, हाँ ऐसी प्रतिष्ठा दो माँ । जय अम्बे, जगदम्बे माता, अच्छे मेरे विचार कर...
जय हो माता महागौरी
भजन, स्तुति

जय हो माता महागौरी

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** नवरात्रि मां दुर्गा आठवीं शक्ति, तू महागौरी। कहलाती, मां तेरा रूप। अवर्णनीय, अतुलनीय तेरा। पूर्ण गौर वर्ण। मां तू शंख चंद्र अरू कुंद। पुष्प सम शश्वेत गौरवर्ण कांतिमान शोभित। मां तेरे सकल वस्त्र, आभूषण। शश्वेत धवल, दिव्य जगमग करें। मां तू बैल पीठ सवार विराजित। मां तू चतुर्भुजाधारी। ऊपर दाँया कर अभय मुद्रा। नीचे दाँया कर अरू मुद्रा संग अति शांत मुद्रा सोहै। मां ऊपर बाँये कर डमरु अरु। नीचे बाँये कर वर मुद्रा सोहै। मां तेरी शक्ति अमोघ फलदाई। तेरी आराधना उपासना। हम सब को पाप मुक्त करें। तेरा भक्त पावन अक्षय पुण्य। अधिकारी बने। तू जगत माता हम सबकी। मां तू महाकाली दुर्गा रूप। शरण आने वाले का तू। संकट मिटावै। शनिवार तेरी पूजन जो करै। उसके बिगड़े कारज सुधारै। जय हो माता महागौरी तेरी। ...
इतनी शक्ति हमें देना
गीत, स्तुति

इतनी शक्ति हमें देना

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** इतनी शक्ति हमें देना माता। मनका विश्वास कमजोर हो न। हम चले मानवता के पथ पर, भूलकर भी कोई भूल हो न। इतनी शक्ति.......….।। दूर अज्ञान के हो अंधेरे। तुम सभी को ज्ञान की रोशनी दो। हर बुराई से बचे रहे हम सब। जितनी भी हो खुशी सभी को दो। भेद भाव करे न किसी से, मन सभी का पवित्र तुम कर दो। हम चले मानवता के पथ पर, भूलकर भी कोई भूल न हो। इतनी शक्ति....….।। हम सोचे हमें क्या मिला है। हम सोचे करे क्या हम अर्पण। मनमें श्रध्दा के भाव रखे हम। पूरी निष्ठा से कार्य करे हम । दीन दुखीयों की सेवा करे हम। ऐसी भावना सबकी बना दो। हम चले मानवता के पथ पर, भूलकर भी कोई भूल हो न। इतनी शक्ति हमें.......। ज्योत मन में धर्म की जगा दो। सेवा भाव दिलों में बढ़ा दो । हिल मिलकर रहे हम सभी जन। नफरत ईर्ष्या के भाव मिटा दो। एक नये राष्ट्र नि...
शैलपुत्री
भजन, स्तुति

शैलपुत्री

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** नवरात्र प्रारंभ प्रथम। दिवस माता शैलपुत्री। भारत भू आगमन। हम सब करें पूजन वंदन। तुम माता शैलराज। हिमालय पुत्री शैलपुत्री। कहलाए तुम संग दुर्गा पूजा। प्रारंभ तुम्हारा वाहन वृषभ। जिस पर विराज तुम आई। दाहिने कर त्रिशूल अरु बाँए। कर कमल पुष्प सोहे। प्रथम दिवस उपासना में योगी। स्व मन मूलाधार चक्र स्थित कर। योग साधना आरंभ कर। माता शैलपुत्री सुमिरै। रोली, अक्षत लगा भोग लगा। मां शैलपुत्री मनावे। आशीर्वाद पावे। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्...
नवरात्रि आई रे
भजन, स्तुति

नवरात्रि आई रे

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** दरबार सजा है माता का सिंह पर सवार होके आई माता रानी भीड़ लगी है मंदिर में माता की पूजा करलो माता विनती सबकी सुन लो नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई जगह जगह माता है विराजे माँ के दर्शन कर लो नर नारी सब भोग लगावे हलुआ पूरी माता को खिलावे नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई माता प्यारी प्यारी दुःखो को हरने वाली माता का जो व्रत रखता है माता के प्रतिदिन दर्शन करता है। उसकी झोली कभी ना होती खाली नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई माता सबकी पूरी मुरादे कर दो सुखी सारे संसार कर दो जगह जगह भंडारे होवे कन्या भोज लोग करावे नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी, ए वि...
मांँ कुष्मांडा
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मांँ कुष्मांडा

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** भक्ति भाव ले हृदय, आए तव द्वार! शीश नत चरणों में, करो मांँ उद्धार!! सृष्टि की उत्पत्ति के पूर्व छाया था.... जग में चहुँओर गहनतम अंधकार!! था न कोई भी जीव जंतु धरा पर! तब लीं मांँ अंबे कुष्मांडा अवतार!! मंद स्मिति से रच दिया कुल ब्रह्मांड! कहलाईं आदिशक्ति चतुर्थ अवतार!! आयु यश बल ऐश्वर्य प्रदायिनी हैं! सृष्टिकर्ता माँ शुभता की आगार!! शंख चक्र गदा धनुष बाण शुभ कमल... कमंडल जपमाला अष्टभुजा धार!! अनाहत चक्र को मांँ करें नियंत्रित! गदा चिह्न है पूर्ण विजय कुल विकार!! ईश्वरीय ज्ञान धारण कर कमंडल! करतीं प्रभु ज्ञान का अन्य में प्रसार!! धनुष बाण चढ़ा ज्ञान-तीर चलाएंँ...! शुभ कलश में धर भक्त हित अमिय सार!! चक्र कराता निज शक्ति की पहचान! कमल प्रतीक कलि-दोषों का परिहार!! माला ले मांँ करें नित अजपा ज...
दीप जलाएं बैठा हूं
स्तुति

दीप जलाएं बैठा हूं

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। संगीत-गीत न तंत्र-मंत्र न, जय माता दी कहता हूं।। स्वर्ण कलश न स्वर्ण मूर्ति न, न स्वर्णजड़ित सिंघासन है। काष्ठ आड में रखा है तुझको, जर्जर वस्त्र का आसन है। नैवेद्य नहीं फल-फूल नहीं मां, मैं गुड चढ़ाएं बैठा हूं।। चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। कर्पूर नहीं मां धूप नहीं, न कर पाऊं श्रृंगार तेरा। नूपुर नहीं, करधनी नहीं, ना भोगने योग्य आहार तेरा। इत्र नहीं, सिन्दूर नही मां, सर झुकाए बैठा हूं।। चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
मांँ बचाओ अब नरसंहार
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मांँ बचाओ अब नरसंहार

राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** जीव जगत रण चंडिका, करते नमन विश्व जगदंबिका। कष्ट हरो भव पार लगाओ, नाकाम करो कोरोना को हराओ।। मांँ बचाओ अब नरसंहार.... त्राहि मची है जंग छिड़ी है, शत्रु अदृश्य आन पड़ी है। विनाश लिए लक्ष्य खड़ी है, जगत में विपदा आन पड़ीं है।। मांँ बचाओ अब नरसंहार.... हे त्रिपुरसुंदरी ,अष्ट भवानी, हे काल रात्रि , जगत कल्यानी । तुझमें शक्ति तुझमें भक्ति, तू ही बलिदान, आत्म सम्मान।। मांँ बचाओ अब नरसंहार.... मांँ की आंचल पुत्र सुरक्षा, ब्याधी हटाओ कर दो रक्षा। आरत वाणी तुम्हें पुकारे, राम तुम्हारी जय जय कार करें।। मांँ बचाओ अब नरसंहार.... परिचय :-  राम रतन श्रीवास निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) साहित्य क्षेत्र : कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष सम्मान : कोरबा मितान सम्मान २०२१ (समाजिक चेतना एवं सद...
गणेश वंदना
भजन, स्तुति

गणेश वंदना

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जय बप्पा गणेशा, सकल विश्व विशेषा रिद्धि सिद्धि प्रदाता, शुभंकर श्री गणेशा !... विघ्न विनाशक देवा, गज महाकाय सेवा, सर्व मंगल मूर्ति देवा, लंबोदर मोदक मेवा, नाशो दुख कलेशा !..... मूषक यान प्रणेता, अखिल विश्व विजेता, वेद शास्त्र अध्येता, स्वाध्याय दान देता, भांति भांति गणवेशा !.... शील स्वभाव भंडारी, सदा प्रसन्न उपकारी, धीर उदार जय कारी, भव ताप भय हारी, कल्याणक उपदेशा !... एकदंत हर पीरा, गजा धारी शरीरा, महाधीर वीर गंभीरा, सिंदूर वदन शरीरा, मन मंदिर कर प्रवेशा !.... गोरा पुत्र आज्ञाकारी, भोले सुत बलिहारी, सुख संपदा के स्वामी, माता पिता अनुगामी, सुख समृद्धि प्रदेशा !..... सर्व ज्ञाता अंतर्यामी, दीनदयाल शुभनामी, शांत धीर सुविचारी, प्रथम पूज्य अधिकारी, सकल ज्ञान अन्वेशा !... मंगल मूर्ति व...
गणेश जी की वंदना
भजन, स्तुति

गणेश जी की वंदना

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** गणेश जी की वंदना हे प्रथम पूज्य गजराज, तुम्हारी जै जै हो। है पार्वती के लाल, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य ... प्रभु तुम बुद्धि के दाता हो, और तुम ही भाग्य विधाता हो। मंगल करते सब काज, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य... रिद्धि सिद्धि के स्वामी हो तुम, जग के अंतरयामी हो तुम। तुम रखते सबका ध्यान, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य... विघ्न विनाशक नाम तुम्हारा, हम भक्तो को तेरा सहारा। हैं चरण तेरे सब धाम, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य ... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा स...
घर में पधारो गजानन
स्तुति

घर में पधारो गजानन

प्रभा लोढ़ा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** खड़ी हूँ द्वार पर राह तकती तुम्हारी, घर में पधारो गजानन महाराज, घर को बुहारा चंदन की ख़ुशबू बिखेरी हर दिशा में, पीले-पीले फूलों का बनाया तोरण, तुम्हें अर्पण करने थाल सजाये नवैघ और मोदक से धुप दीप प्रज्वलित कर राह निहारती तुम्हारी, एक दंत महाकाय रुप है निराला, तुम हो संकट हरण करते सबकी विपदाएँ दूर, तुम्हारा मानव है घबराया महामारी करोना ने सबको है डराया, आकर सँभालो इस विपदा को दूर करो संकटमोचन गणपति, धरती पर हाहाकार मचा हुआ इस संकट का करो निवारण सब राह तकते अब तो आजाओ रुप तुम्हारा है निराला सबको बहुत सुहाता घर में पधारो गजानन महाराज । परिचय :- प्रभा लोढ़ा निवासी : मुंबई (महाराष्ट्र) आपके बारे में : आपको गद्य काव्य लेखन और पठन में रुचि बचपन से थी। आपने दिल्ली से बी.ए. मुम्बई से जैन फ़िलोसफी की...
गजानंद करो कल्याण
स्तुति

गजानंद करो कल्याण

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** गजानंद करो कल्याण गजानंद करो कल्याण घर म्हारे पधारो घर म्हारे पधारो मोदक का भोग लगाऊं रोज उतारूं आरती मैं गजानंद करो कल्याण गजानंद करो कल्याण बहुरे नाम है आपके स्वामी काम सँवारे सबके हो स्वामी गंजानंद करो कल्याण गंजानंद करो कल्याण शिव पार्वती के होकर सुत शिवा नंदन कहलाए तुम कौन बड़ा,भाई भाई के झगडे में कर प्रदक्षिणा मात पिता की ब्रह्माण्ड बताया आपने उनको प्रथम पूज्य कहलाये देव गंगानंद करो कल्याण गंगानंद करो कल्याण देवो में प्रथम देव तुम कहलाए दीन दुखी के तुम दुख सहलाए मूषक है आपकी सवारी प्रथम देव है आपकी बारी जिसने तुम को पूजा है जीवन सुखमय बना उसका है मैं भी क्या राह अपनाऊं चरण आपके मै भी पाऊं गंगानंद करो कल्याण गंगानंद करो कल्याण गर्दिशों में, मैं घूमा हूं कैसे मंज़िल मेरी पाऊं है गण...
पार्वती नन्दन श्री गणेश
स्तुति

पार्वती नन्दन श्री गणेश

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** आओ पार्वती नंदन श्री गणेश, स्वागत करता भारत देश | आओ शिवसुत हे श्री गणेश, स्वागत करता मैं सुरेश || विघ्न विनाशक हे विनायक, तुम गजमुख लंबोदर सुत महेश | विघ्न हरो प्रभु सब भक्तन के, धरा सहित आपदा में भारत देश || आओ प्रभु सुरक्षित करो धरा को, जनमानस अब अति ब्याकुल है | तुम्हारी धरा का उपासक भी तो, कितनाआज अत्यंत भयाकुल है || आशीष गणपति का पाकर हम, सभी शिव-शक्ति शरण में जायेंगे | उमासुत प्रभु के आशीष से हम, फल शिव-शक्ति चरण में पायेंगे || हे विद्या फलप्रदायक विघ्नहर्ता, भक्तों के त्राता बन जाओ प्रभु | आकरके भक्त संप्रदाय घरों में, सुफल दाता अब बन जाओ प्रभु || आओ उमासुत श्री गणेश, स्वागत करता भारत देश | आओ शिव सुत हे श्री गणेश प्रभु, स्वागत करता मैं सुरेश || स्वागत करता मैं सुरेश, स्वागत करता.... परिचय :- स...
कृष्णा
भजन, स्तुति

कृष्णा

आशीष कुमार मीणा जोधपुर (राजस्थान) ******************** शब्दों मे तुझे बाँध न पाऊँ बुद्धि से तुझे माप न पाऊँ कैसे तेरी थाह लगाऊं मैं क्या लिखुँ तुझको प्रभु। कृष्ण लिखुँ, गोविंद लिखुँ केशव, माधव, कुँज लिखुँ बृजनन्दन, घनश्याम लिखुँ तुमको राधे श्याम लिखुँ मैं क्या लिखुँ तुझको प्रभु। यशोदा का लाल लिखुँ नाग कालिया काल लिखुँ सुदामा सखा बाल लिखुँ कंस का अंतकाल लिखुँ मैं क्या लिखुँ तुझको प्रभु। अर्जुन का गीता ज्ञान लिखुँ द्रोपदी का ध्यान लिखुँ मीरा का गिरधर गोपाला विष बना अमृत का प्याला मैं क्या लिखुँ तुझको प्रभु। तुमको नन्द किशोर लिखुँ या फिर माखन चोर लिखुँ मुख में ब्रह्मांड दर्शन लिखुँ या फिर चक्र सुदर्शन लिखुँ मैं क्या लिखूँ तुझको प्रभु। परिचय :- आशीष कुमार मीणा निवासी : जोधपुर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौल...
मेरे खुदा
स्तुति

मेरे खुदा

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं फकीर हूं, तेरे दर का खुदा मेरी आजमाइश न कर। तू पीर है मेरा, मेरे खुदा मेरी जग हंसाई न कर। मैं कमजोर लाचार हूं, मेरे खुदा मेरा तू हम राही बन। मैं अनजान हूं, तेरी इस कायनात से मेरे खुदा तू मेरा हमराज बन। मैं मुरीद हूं तेरा मेरे खुदा, तू अब मेरा मुर्शिद बन। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशि...
हनुमान जी की महिमा…
स्तुति

हनुमान जी की महिमा…

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** भक्त हनुमान जी हैं दयालु बहुत, राम भक्तों की रक्षा वे करते सदा। दैत्य माने नहीं राम महिमा को जो, उनपे हनुमान जी ने चलाई गदा। भक्त हनुमान जी...... राम का नाम लेता विभीषण मिला, मित्र माना उसे,अपना परिचय दिया। हो गया धन्य वो,राम सेवक से मिल, माता सीता का उसने,पता था दिया। गये वो वाटिका माँ के दर्शन किये, उनकी सांसों में बस "राम" चलता सदा। भक्त हनुमान जी...... दम्भी रावण को सद्ज्ञान देने के मित, माँ से अनुमति ले विध्वंस की वाटिका। छोड़ा ब्रम्हास्त्र तो नमन कर बंध गए, छोड़ने की नहीं की कोई याचिका। दिया सद्ज्ञान रावण को दरबार में, वो अहंम में था डूबा न उसको जँचा। भक्त हनुमान जी........ दिया रावण ने आदेश मारो इसे, आ विभीषण ने नीति बताई उसे। शत्रु का दूत है,अन्य कुछ दंड दो, नीति सम्मत नहीं है न मारो इसे। पूँछ ...