Monday, May 20राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

बदलाव निश्चित है चाहे समय हो या भाग्य

अतुल भगत्या तम्बोली
सनावद (मध्य प्रदेश)

********************

रघु बड़ा उदास लग रहा था। उसके मन में न जाने कैसे कैसे विचार जन्म ले रहे थे जिसका कारण था उसके खेत की फसल। जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी अब हर बार उसकी फसल बहुत कम आ रही थी। निराशा उसके मन मे घर बना रही थी। अखबारों में आए दिन किसानों के आत्महत्याओं की खबरें सुन-सुनकर उसका मन पसीजने लगा था, करे भी तो क्या? सामने बेटी ब्याह लायक हो चुकी और बेटा खेती करना नही चाहता उसका मन पढ़ लिखकर अफसर बनने के सपने देख रहा था। कर्जदारों का कर्ज चुकाना है, बेटे जो पढ़ाना है और बेटी ब्याहना है। कैसे होगा सब सोच सोचकर ही वह टूटता जा रहा है। अंततः उसने भी आत्महत्या का विचार बना ही लिया लेकिन वह एक दिन वह अपने परिवार के साथ सुकून से रहना चाह रहा था तभी उसकी पत्नी उसके पास आकर कहने लगी “आप व्यर्थ चिंता करते हो। इस पूरी दुनिया में सिर्फ हम ही ऐसे नहीं हैं जो ऐसे जी रहे हैं। कई लोगों को तो दो समय का भोजन तक नसीब नही। कम से कम हमारे साथ तो ऐसा नही है हाँ कुछ समस्याएँ जरूर है किसे नही होती। मैं तो कहती हूँ ऐसे चिंतित रहने और निराश होने से कोई फायदा नही ईश्वर पर भरोसा रखो सबकुछ ठीक होगा। और ये समय कोई स्थाई हमारे जीवन मे रहने वाला नही है। क्योंकि समय और भाग्य कभी एक सा नही रहता एक न एक दिन बदलता जरूर है।” ये बातें सुनकर उसका बेटा पास आकर कहने लगा “पिताजी आप चिंता क्यों करते हो अब मैं बड़ा हो गया हूँ, हाँ ये सच है कि मुझे खेती करने में कोई रुचि नही, मुझे अफसर बनना है लेकिन इसका ये अर्थ नही की मैं सिर्फ आपके भरोसे बैठा रहूँ। मैं आपके कामों में आपका हाथ तो बटा सकता हूँ। बात रही मेरी पढ़ाई की तो वो मैं अपने स्तर से कर लूँगा।” बेटी भी पास आकर पिता का हौंसला बढ़ाने लगी। रघु की तो मानों सारी चिंताएँ मानो समाप्त हो चुकी हो। उसका मन अब हल्का हो गया था। उसे ये अहसास हो चुका था कि अपनो का साथ सभी चिंताओं को हर लेता है। अब वह अकेला नही था। देखते ही देखते उसने न केवल अपने कर्ज खत्म कर दिए बल्कि बेटी का विवाह भी धूमधाम से किया और बेटा भी अपने गाँव की ही पंचायत में सरकारी अधिकारी बनकर नौकरी कर रहा है। नौकरी के साथ अब पिता और पुत्र दोनों मिलकर फसल भी अच्छी उगाते है। अब वह बीती यादों को जब भी याद करता अब उसे एक ही बात याद आती रहती कि ये परम सत्य है कि बदलाव निश्चित है फिर चाहे वह समय हो या भाग्य।

परिचय :- अतुल भगत्या तम्बोली
निवासी : सनावद, जिला खरगोन (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *