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मजदूर हूं मैं

अमिता मराठे
इंदौर (म.प्र.)
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मजदूर हूं मैं,
मजबूर नहीं हूं।
मेहनत ही मेरी पूंजी है।
धरती ही मेरी माँ है।
उसकी गोद में खेलता हूं,
प्यार से माटी सहलाता हूं,
हीरे मोती उगाता हूं।
मज़दूर हूं मैं, मजबूर नहीं हूं।

हाथों में गेती फावड़ा,
दृढ़ता से कदम उठाता हूं।
कड़ी धूप में भी शीतलता,
महसूस कर चलता हूं।
जब माटी में मिलता पसीना,
नवीनता के दर्शन करता हूं।
मजदूर हूं मैं,
मजबूर नहीं हूं मैं।

ऊंची अट्टालिकायें यें,
जन मन को दिलासा देती हैं।
मैं सबका साथ निभाता हूं,
बस व्यर्थ न जायें मेरा श्रमफल।
दिन रात मेहनत करता हूं,
परिवार की रोजी-रोटी पाता हूं।
मजदूर हूं मैं,
मजबूर नहीं हूं।

विघ्नों के तूफान जब आते हैं,
पहले श्रमिक ही भुगतता हैं।
सहना तो है सह लेता हूं,
जन की इच्छा पूर्ति करता हूं।
खुशियां देना मेरा काम है,
बदले में अल्पधन पा लेता हूं।
संतुष्टता मेरा मूल गुण है,
उसके ही बल पर गुजारा होता है।
मजदूर हूं मैं,
मजबूर नहीं हूं।

परिचय :- अमिता मराठे
निवासी : इन्दौर, मध्यप्रदेश
शिक्षण : प्रशिक्षण
एम.ए. एल. एल. बी.,
पी जी डिप्लोमा इन वेल्यू एजुकेशन, अनेक प्रशिक्षण जो दिव्यांग क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित आई.डी. बी.ए. की मानद सचिव।
४५ वर्ष पहले मूक बधिर महिलाओं व अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आकांक्षा व्यवसाय केंद्र की स्थापना की। आपका एकमात्र यही ध्येय था कि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अब तक आपके इंस्टिट्यूट से हजारों महिलाएं सशक्त हो चुकी हैं और खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
शपथ : मैं आगे भी आना महिला शक्ति के लिए कार्य करती रहूंगी।
प्रकाशन :
१ जीवन मूल्यों के प्रेरक प्रसंग
२ नई दिशा
३ मनोगत लघुकथा संग्रह अन्य पत्र पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कहानी, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, आलेख कविताएं प्रकाशित राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था जलधारा में सक्रिय।
सम्मान :
* मानव कल्याण सम्मान, नई दिल्ली
* मालव शिक्षा समिति की ओर से सम्मानित
* श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
* मध्यप्रदेश बधिर महिला संघ की ओर से सम्मानित
* लेखन के क्षेत्र में अनेक सम्मान पत्र
* साहित्यकारों की श्रेणी में सम्मानित आदि


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