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परिवार हो साथ तो कैंसर की क्या ओकात

सपना बरवाल
कांटाफोड़ देवास (मध्य प्रदेश)

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मेरी ज़िंदगी मै सब कुछ ठीक था। और अचानक एक तूफान आया और सब कुछ बिखर गया। केंसर से लडने मै परिवार की जरूरत, रेखांकित करता एक आप बीता संस्मरण।

ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत ओर कीमती है, ये तब समझ आता है, जब आपकी ज़िन्दगी मै सब कुछ उलट-पुलट हो जाता है। यकीन मानिए डॉक्टर द्वारा कहे तीन शब्द “आपको केंसर हैं” आपकी ज़िन्दगी मै तूफान ले आते है। मुझे जब पता चला मुझे आखिरी अवस्था का कैंसर है, ऐसा प्रतीत हुआ जैसे अब सब कुछ ख़तम हो जाएगा। ओर बचपन से देखा हुआ सपना इस तूफान की आंधी मै बह जाएगा।
कैंसर की परीक्षा की इस घड़ी मै मेरा परिवार मेरी ढाल बनकर खड़ा रहा। इलाज के लिए अस्पताल को चुनना, पेसो की व्यवस्था करना, मुझे हर हाल में सहारा देना। हर कदम पर मेरे मम्मी पापा मेरे साथ थे। मेरे भाई बहन ने मेरा भरपूर सहयोग किया। मेरे दोस्त, पड़ोसी, रिश्तेदारों ने यथायोग्य मेरी सहायता की।
कैंसर नहीं होने से पहले ही साल २०१८ मै २ ऑपरेशन हो चुके थे। कैंसर के इलाज मै सबसे पहले कीमोथेरेपी हुई। मैने अपने विश्वविद्यालय जहा मै स्नातक अंतिम वर्ष की छात्रा हूं छुट्टी लेली। ओर सारा समय खुद पर ध्यान दिया। कैंसर के इलाज मै कीमोथेरेपी सबसे कठीन समय था। उस समय खुद के चेहरे को आयने मै देखना बहुत कष्टकारी होता था। क्योंकि कीमोथेरेपी के कारण सिर के, भोह, पलक के सारे बाल निकल गए थे, ओर पूरे शरीर मै सूजन, रंग सांवला हो गया था। ऐसे हालात मै भी पापा अक्सर कहते तुम आज भी बहुत सुंदर लग रही हो। ओर मेरी आंखो से आंसू बहने लगते। फिर पापा कहते मेरी बेटी बहुत हिम्मत वाली है। कहकर मेरा मनोबल बढ़ाते।
हर बार जब मै कीमोथेरेपी करवाकर घर आती तो मेरी बड़ी बहन कमरे की बहुत साफ सफाई मेरी चादर तकिया बदलकर रखती, मेरी पसंद का खाना, डॉक्टर ने मुझे इंफेक्शन से बचने को कहा था, इसलिए मेरी हर छोटी बड़ी चीज़ों का ध्यान रखती। मेरी मां मुझे लाभदायक शुद्ध शाकाहारी ताजा भोजन बनाकर खिलाती और मुझे भरपूर प्यार करती।
मै सुबह सुबह घूमने जाती, प्राणायाम कपालभाती करती। ओर सुबह की धूप लेती। जब भी मन करता किसी महापुरुष की आत्मकथा पढ़कर अपना समय व्यतीत करती। इस यात्रा मै कुछ लोग ऐसे भी आए जिन्होंने मेरे आत्मविश्वास, मनोबल को कमजोर किया। मेरे पापा उस वक़्त बहुत नाराज़ हो जाते, जब कोई रिश्तेदार मुझे मिलने आते ओर सारी इलाज की जानकारी मुझ से लेते ओर तो ओर मेरे स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी लेने के बाद मुझे ये तक गिना जाते की आज तक उनके परिचित लोगो मै किन-किन की कैंसर से मौत हुई है। उस समय मै अपना आत्मिश्वास ओर मनोबल पूरी तरह खो देती। इन सब से मुझे बचाने के लिए मेरे परिवार ने आने वाले सभी मेहमानों को खुद ही सारी जानकारी देते। इससे मुझे कोई इंफेक्शन ओर थकान अनुभव नहीं होती। हर पल मेरा परिवार मेरी जीवनरेखा बनकर रहा।
कीमोथरेपी के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत क्षीण हो जाती है। ऐसे मै किसी बीमार व्यक्ती के सम्पर्क में आने से मुझे इंफेक्शन बहुत जल्दी हो जाता था। कैंसर की बीमारी मरीज के साथ-साथ उसके परिवार को पूरी तरह तोड़ देती है। मै बहुत किस्मतवाली हू जो इन कठीन परिस्थिति मै मेरा परिवार मेरे साथ हर कदम पर खड़ा रहा। यकीन मानिए अगर परिवार मेरे माता पिता का मुझे सहारा नही। होता ओर दिन रात आज मुझे सहारा नहीं देते। तो आज २ साल बाद मै आपसे मेरी यात्रा के अनुभवों को साझा नहीं कर पाती। इस यात्रा के मध्य मेरा ओर मेरे परिवार का आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ाने का सम्पूर्ण श्रेय हमारे गुरुजी नागोरिया पीठाधीश्वर अनंत विभूषित श्री स्वामी विष्णु प्रपन्नाचार्य जी को जाता है। धन्यवाद मम्मी पापा मुझे नवीन जीवन देने के लिए। मै सम्पूर्ण जीवन आपकी आभारी रहूंगी।

परिचय :- सपना बरवाल
पिता : सत्यनारायण बरवाल
निवासी : कांटाफोड़ देवास मध्य प्रदेश
घोषणा : मै घोषणा करती हूँ कि प्रेषित जीवन परिचय में मेरे द्वारा दी गई समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है। असत्य पाए जाने की दशा मे हम स्वयं जिम्मेदार होंगे। मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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