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जिंदगी एक अनबुझ कहानी तो है

रूपेश कुमार
चैनपुर, सीवान (बिहार)
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जिंदगी एक अनबुझ कहानी तो है,
कोई समझे या ना नही समझे तो,

जन्म और मृत्यु की ये कहानी तो है,
कोई पागल यही नही समझे तो,

प्यार की ये अनबुझ कहानी तो है,
कोई मानें या ना नही मानें तो,

बचपन, जवानी, बुढ़ापे तो है,
कोई जाने या ना नही जाने तो,

खेल, पढ़ाई और जॉब की रवानी तो है,
कोई निभाये या ना निभाये तो है,

प्यार और धोखा की ये रुबानी तो है,
कोई विश्वास करे या ना नही करे तो,

गाँव, शहर और नगरों का ये अंतर नही,
अपनी जीवनशैली बदलने से क्या फायदा,

गीत, गजल और कविता मे वो बात नही,
जो अध्यात्मिक भजनों मे मिलती हमें,

मनुष्य, जीव-जंतु और पेड़-पौधे एक ही है,
फिर सबको मसलने से क्या फायदा,

जाति धर्म, रंग-भेद और खान-पान से मतलब नही,
फिर सबसे दुश्मनी करने से क्या फायदा,

हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबका खून एक ही है,
फिर आपस मे लड़ने से क्या फायदा,

देश दुनिया सभी एक ही ईश्वर की देन है,
फिर देश दुनिया मे फर्क करने से क्या फायदा,

राम, रहीम, यीशु मसीह और गुरुनानक मे अंतर नही,
फिर आपस मे झगड़ने से क्या फायदा,

जिंदगी और मौत मे कोई अंतर नही,
फिर सुख मे खुशी और दुख मे रोने का क्या फायदा,

बेटी और बेटों मे कोई अंतर नही,
फिर बेटियों से नफरत करने से क्या फायदा,

फुल और कलियों मे कोई अंतर नही,
फिर कलियों को तोड़ने से क्या फायदा!

परिचय :- रूपेश कुमार
शिक्षा : स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डिप्लोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
निवास : चैनपुर, सीवान बिहार
सचिव : राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान
प्रकाशित पुस्तक : मेरी कलम रो रही है
सम्मान : कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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