सुधियों की कस्तूरी
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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पिय की सुधियों की कस्तूरी,
महकाती मन का मधुवन।
मन-मृग वन-वन विचरण करता,
नित पाने को कस्तूरी।
हाय सुहाती नहीं हमें अब,
प्रियतम से किंचित दूरी।।
ज्यों सागर से मिलने आतुर,
सरिता की धड़कन-धड़कन।
पिय की सुधियों की कस्तूरी,
महकाती मन का मधुवन।।
मृग-मरीचिका में हम उलझे,
मिली ठोकरें हुए विकल।
अंतर्मन में है कस्तूरी,
फिर भी आडम्बर का छल।।
समझ न पाये हाय मर्म हम,
तोड़ गुत्थियों के बंधन।।
पिय की सुधियों की कस्तूरी,
महकाती मन का मधुवन।।
मुश्किल है कस्तूरी मिलना,
उसकी चाहत को पाना।
इच्छाएँ जब रहीं अधूरी,
तब महत्व हमने जाना।।
साँसें बनकर दिल में धड़कें,
जीना दूभर दुखी नयन।
पिय की सुधियों की कस्तूरी,
महकाती मन का मधुवन।।
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पु...

















