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माँ क्या होती है

गायत्री ठाकुर “सक्षम”
नरसिंहपुर, (मध्य प्रदेश)
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कोख में रखकर नौ महीने,
सौ सौ तखलीफें सह सह कर।
रात रात भर, जाग-जाग कर,
खुद गीले में रह-ह कर।
बच्चे को सुलाती सूखे में,
प्यार भरी थपकी देकर।
बड़े चाव से सेवा करती,
कभी न उसमें नागा करती।
हो जाए बड़ा, कितना ही बालक,
हर विपदा से उसे बचाती,
बन करके, उसका रक्षक।
नहीं है कोई दुनिया में, उसके जैसा,
त्याग, तपस्या और प्रेम की मूरत जैसा।
माथे पर उसके, देख शिकन,
हो जाती व्याकुलता से बेचैन।
बालक के सुख से होती सुखी,
बालक के दुख से होती दुखी।
माँ की कीमत वो ही जाने,
मिली न “सक्षम” जिन्हें देखने।

परिचय :- गायत्री ठाकुर “सक्षम”
निवासी : नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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