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उन्हें जो करना है

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रचयिता : शाहरुख मोईन

उन्हें जो करना है वो कर जाएंगे,
 हम दरिया है कैसे ठहर जाएंगे।
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 बस्ती के लोग तिजारती हो गए,
हम भी अपना हुनर आजमाएंगे।
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 रास्ते का पत्थर ना समझ मुझे,
 ठोकरों से मुकद्दर संवर जाएंगे।
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ये संगतराश का अपना हुनर है,
पत्थरों के चेहरे निखर जाएंगे।
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वह अपना इरादा मुकम्मल करें,
हम काम इतना तो कर जाएंगे।
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सैलाब का खतरा है बस्तियों को,
 दरिया तो समुंद्र में उतर जायेंगे।
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बारूद ओ चिंगारी का मेल नहीं,
ऐसे दाग चेहरे पे बिखर जाएंगे।
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 मिट्टी के पुतलों का गुमान देखो,
 राख बन के सभी बिखर जाएंगे।

लेखिक परिचय :-
नाम – शाहरुख मोईन अररिया बिहार


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