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चंद्रमा की रोशनी में

रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
लखनऊ
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२१२२ २१२२ २१२२ २१२
काफिया- ‘आ’ स्वर वाले शब्द
रदीफ़- रुक जाएगी

चंद्रमा की रोशनी में हर अमा रुक जाएगी
शब भी ये सब देखने को बाख़ुदा रुक जाएगी

इश्क़ में रुकते नहीं आशिक़ क़यामत तक यहाँ
साथ साजन का मिले तो हर क़ज़ा रुक जाएगी

ज़िंदगी का फ़लसफ़ा इतना ही है ये जान लो
फ़ासले रिश्तों में हों तो हर दुआ रुक जाएगी

ग़र करोगे बंदगी माँ चरणों की ईमान से
तो यकीनन ज़िंदगी की हर बला रुक जाएगी

है बहुत ही नेक यह फ़रमान इस सरकार का
जो सफ़ाई से रहोगे तो वबा रुक जाएगी

यदि सनातन सभ्यता की सीख पर तुम ध्यान दो
फिर तो सारी पश्चिमी ये बद हवा रुक जाएगी

कह रही ‘रजनी’ इसे तुम अब गिरह में बाँध लो
ईश के आगे झुकोगे तो सज़ा रुक जाएगी

परिचय : रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
उपनाम :- ‘चंद्रिका’
पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता
माता – श्रीमती रामदुलारी गुप्ता
पति :- श्री संजय गुप्ता
जन्मतिथि व निवास स्थान :- १६ जुलाई १९६७, तहज़ीब व नवाबों का शहर लखनऊ की सरज़मीं
शिक्षा :- एम.ए.- (राजनीति शास्त्र) बीएड
व्यवसाय :- गृहणी
प्रकाशन :- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. के  hindirakshak.com पर रचना प्रकाशन के साथ ही कतिपय पत्रिकाओं में कुछ रचनाओं का प्रकाशन हुआ है
सम्मान :- समूहों द्वारा विजेता घोषित किया जाता रहा है। दो बार नागरिक अभिनंदन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मंचों पर काव्य-पाठ व लघुकथा का पाठन करती रहती हूँ। सांस्कृतिक एवं सामाजिक योगदान हेतु सम्मान-पत्र प्रदान किया गया है। विद्यालय के समय भी अनेक पुरस्कार मिले हैं।
रचना की विधा :- अधिकतर दोहा सृजन, छंदमुक्त कविताएँ, मुक्तक, दोहा, गजल, छंद, हाइकु दोहा, गीत, गीतिका, लघुकथा, संस्मरण आदि….
घोषणा पत्र :- मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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