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नारी को जाने और समझे

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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दिखाये आँखें वो हमें जब
मनका काम न हो उसका।
तब बहाना ढूँढती रही
हमें शर्मीदा करने का।
यदि इस दौरान कुछ
उससे पूछ लिया तुमने।
तो समझ लो तुम्हारी
अब खैर नहीं है।।

अलग अलग तरह के
रूप देखने को मिलेंगे।
कभी राधा तो कभी दुर्गा
और कभी-कभी शेरनी का।
समझ नहीं पाता पुरुष
नारी के इतने रूपों को।
इसलिए शांति से वो
सब कुछ सुनता रहता।।

नारी की गुस्सा से
पुरुष बहुत डरता है।
घर की शांति के लिए
वो खुद चुपचाप सा रहता।
इसी बात का फायदा
सदा वो उठती रहती है।
और अपनी मन मानी
वो घर में करती रहती है।।

बहुत सहनशील धैर्यबान और
कुशल प्रबंधक भी नारी होती।
और अपने घर और बाहर का
ख्याल भी बड़ी खूबी से रखती।
तभी तो नारी को लक्ष्मी दुर्गा
और अन्नपूर्णा माँ कहाँ जाता।
तभी वो घर को स्वर्ग और
नरक स्वयं बनाकर रखती है।।

नारी के रूपों को कोई
समझ ही नहीं पाया है।
कितने देवतागण भी
देवियों से हारे है।
और उनकी हाँ में हाँ मिलने
सदा तत् पर वो रहते हैं।
तभी तो नारियों की शक्ति
माँ पार्वती जी को कहते।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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