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तेरी-मेरी कहानी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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“हैप्पी वेलेन्टाइन डे, माय डियर, एंड आय लव यू।” कहते हुए सुनील ने एक लाल गुलाब अपनी पत्नी रत्ना के हाथ में दे दिया।
“आय लव यू टू, माय लाइफ।” कहते हुए रत्ना ने अपनी खुशी व्यक्त की।
इस पर दोनों ठीक चार दशक पहले की कॉलेज की यादों में खो गए।
“सुनील जी! क्या आपके पास यूरोपियन हिस्ट्री की बुक है?”
“हां! जी है।”
“मुझे कुछ दिन को देंगे, क्या….?”
“जी अवश्य…”
और सुनील ने यूरोपियन हिस्ट्री की किताब एमए प्रीवियस की उसकी क्लास में आई नवप्रवेशित सुंदर, आकर्षक और शालीन लड़की रत्ना को दे दी।
फिर रत्ना ने नोट्स बनाने में सुनील की मदद की। सहपाठी तो वे थे ही, आपस में दोनों का मेलजोल बढ़ता गया।
कक्षा में दोनों ही सबसे होशियार थे, इसलिए दोनों के बीच स्पर्धा भी थी, पर पूरी तरह स्वस्थ। धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे के दिल में समाते गए। रिजल्ट आया तो दोनों के नाम यूनीवर्सिटी की मेरिट लिस्ट में थे।
और आज दोनों एक-दूसरे के जीवन की मेरिट लिस्ट में भी हैं।
अचानक उनकी तंद्रा टूटी, वे वर्तमान में वापस लौट आये, और एक-दूसरे की ओर देखकर मुस्कराने लगे। सुनील ने कहा, “तुम्हारी-मेरी कहानी भी ख़ूब है, डियर। “हां! है तो माय हार्ट।” रत्ना ने शरारती अंदाज़ में कहा।

परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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