
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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धरती से अम्बर तक, एक ही कहानी है।
आँख खोल देखो तो, पानी ही पानी है।।
सूखे में पानी है, गीले में पानी है ।
छाई पयोधर पै, कैसी जवानी है।।
नदियों में नहरों में, सागर की लहरों में।
नालों पनालों में, झीलों में तालों में।।
डोबर में डबरों में, अखबारी खबरों में।
पोखर सरोबर में, गोरस में गोबर में।।
खेतों में खड्डों में, गली बीच गड्ढों में।
अंँजुरी में चुल्लू में, केरल में कुल्लू में।।
कहीं बाढ़ आई है, कहीं बाढ़ आनी है।
मठी डूब जानी है, बड़ी परेशानी है।।
घन की निशानी है, जानी पहचानी है।
यही जिन्दगानी है, पानी ही पानी है।।
हण्डों में भण्डों में, तीर्थ राज खण्डों में।
कुओंऔर कुण्डों में, हाथी की शुण्डों में।।
गगरी गिलासों में, लोटा पचासों में ।
छागल सुराही में, किटली कटाही में।।
तसला तगारी में, बगिया में क्यारी में।
बटुए तम्हाड़ी में, खाई में खाड़ी में।।
खारों कछारों में, बरखा बहारों में ।
भूखे को पानी है, प्यासे को पानी है।।
दाएँ भी पानी है, बाएंँ भी पानी है ।
ऊपर क्या नीचे भी, पानी ही पानी है।।
कूलों कुलावों में, नलों और नावों में।
जलवों दुआओं में, हिलती हवाओं में।।
नल में नगीने में, चूते पसीने में ।
खाने में पीने में, मरने में जीने में ।।
कीचड़ में दल-दल में, मँडराते बादल में।
पंछीकी पाँखों में, बिरहिन कीआँखों में।।
धरती से अम्बर तक,एक ही कहानी है।
पानी से पानी है , पानी में पानी है।।
छाई पयोधर पै, ऐसी जवानी है।
आँख खोल देखो तो, पानी ही पानी है।।
परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।






















