सन्नाटा…
सरिता चौरसिया
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
********************
अंधकार को चीर कर
आती झींगुर की आवाजे
सनसनाती हुई
हवाओं का झोंका
पेड़ों के झुरमुट से
झांकता, ताकता,
चांदनी की झिलमिल
आहट सन्नाटा...
छू जाती है अंतर्मन को।
कौन कहता है?
सन्नाटे से डर लगता है?
हां, लगता है डर,
बिल्कुल लगता है
मुझे भी लगता था बहुत डर,
जब मैं छोटी थी,
हर सन्नाटे से
कांपता था मन
हर कोने को ताड़ता था मन,
शायद कोई झांक रहा हो,
खट पट की आहट पर,
लगता कोई
मुझको डरा रहा हो।।
आज परिस्थिति उलटी है,
नही लगता डर
अब किसी सन्नाटे से,
किसी अंधेरे से
अब तो अच्छा लगता है एकांत
एकांत ही मन की शान्ति है
अब तो झींगुर की आवाज में
भी संगीत सुनाई पड़ता है,
चांदनी के झिलमिल
में प्रकाशित होता
मन जाना चाहता है
विश्रांति की ओर
रोजमर्रा की
जिम्मेदारियों के बीच
अब खुद को तलाशता है मन
नही लगता अब
कभी सन्...