बेटियाँ
मईनुदीन कोहरी
बीकानेर (राजस्थान)
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जिस आँगन में जन्मी
खेली - पली - पढ़ी बेटियाँ
उस आँगन को छोड़
दूजै आँगन से समझोता
कर लेती है प्यारी बेटियाँ
माँ - बाप के लाड - प्यार
सौ सुखों को त्याग कर
अपनों की आँखों में आँसू
अपनों से विदाई का पल
बाबुल के घर से जाती बेटियाँ
सपने में भी नहीं देखा कभी
वो घर, दीवार -ओ- दर कभी
सब कुछ नया ही नया वहाँ
उस घर को भी अंगीकार
दिल से कर लेती है बेटियाँ
नये रिश्तों की राह पर
आहिस्ता-आहिस्ता कदम रख
मन को समझा नये संसार में
स्नेह रूपी डोर में बाँध कर
अपने जीवन को संवारती बेटियाँ
पढ़ी -लिखी बेटी अपने संस्कार से
घर -परिवार -समाज को संवारती
बेटी बचाओ अभियान को भी
घर - घर की आवाज बना कर
अक्षरशः जीवन में उतारती बेटियाँ
परिचय :- मईनुदीन कोहरी
उपनाम : नाचीज बीकानेरी
निवासी - बीकानेर राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेर...