मैं जलती रही
डाँ. बबिता सिंह
हाजीपुर वैशाली (बिहार)
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जग उठे कब ज्ञान इस संसार में
प्रार्थना के पुण्य बल वरदान में
साधना मेरी सफल हो जाएगी
आस ले में रोशनी जलती रही।
दूर हो तुम लौ दीया की मैं बनी
धैर्य को बाँधे उम्र की डोर से
संग मेरे कारवां चलता रहा
आस ले मैं रोशनी जलती रही।
कर निछावर अंतर तम से शब्द-शब्द
चैन की आहुति दे कर ज्ञान यज्ञ
हो के विह्वल मान को रच कर
सदा आस ले मैं रोशनी जलती रही ।
मूल्य रस से पाल कर स्वाभिमान दे
दीक्षा बस सम्मान का मुझको मिले
जल उठो तुम ज्ञान के भंडार से
आस ले मैं रोशनी जलती रही।
नवकिरण बन जाओ तुम प्रभात की
कुर्बान हो देश जग मान पर
स्तंभ हो तुम भारत के आधार हो
आस ले मैं रोशनी जलती रही।
परिचय :- डाँ. बबिता सिंह
निवासी : हाजीपुर वैशाली (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचन...


















