मैं कमजोर नहीं
डॉ. तेजसिंह किराड़ 'तेज'
नागपुर (महाराष्ट्र)
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इतिहास गवाह है हर जुल्म
और सीतम के खूनी पन्नों में
मेने इबारत लिखी हुई है
वतन पर मरने वालों में।
हर शास्त्र धर्म में रची बसी हूं
नारी शक्ति के शब्द रूपों में
मिटकर भी अमर कहानी
बनी रही मैं हर युगों में।
नई शक्ति का सृजन कर मेनें
नवराष्ट्र को हर बार रचा है।
असहनीय दर्द भी सहनकर
कोमल शिशु को सींचा हैं।
समय चक्र कि धारा में
कई बार टूटी और बिखरी हूं,
पर अब मैं अबला नहीं रही
खुद को सबल बना खड़ी हूं।
वैचारिकता के शब्दों ने भी
खुब अन्याय ढाये मुझ पर,
पर मजबूत इरादों से लडकर,
चौखट लांगकर बनी आत्मनिर्भर।
बराबरी के हक को लेकर
राष्ट्र विकास कि धूरी बनी हूं
अबला से सबला बनकर
इतिहास कि वो नारी बनी हूं।
विश्व जगत भी चकित हुआ
देखकर नारी की शक्ति से,
हर घर अब विकसित हो रहा
महिला-पुरुष कि सहभागी ...