उम्मीद का दामन
भूपेंद्र साहू
रमतरा, बालोद (छत्तीसगढ़)
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समस्या बड़ी है,
ये परीक्षा की घड़ी है
हालात कल बुरे थे
आज बुरे हैं,
लेकिन सब्र रख,
वक्त कल बेहतर
परिस्थिति लेकर आयेगा
मंजिल के पास आकर
अपने रास्ते न मोड़
कोरोना संकट टल जाएगा,
उम्मीद का दामन न छोड़
उम्मीद की नोक पे
दुनिया टिकी है
उम्मीद मुर्दों में
जान लाती है
उम्मीद पत्थर को
भगवान बनाती है
वही उम्मीद आज
इन्सान और
इंसानियत को बचायेगा।
चुनौतियों का
महासागर पार होगा
हौसलों के पंख न तोड़
कोरोना संकट टल जाएगा
उम्मीद का दामन न छोड़
परिचय :- भूपेंद्र साहू
पिता : श्री मोहन सिंह
निवासी : रमतरा, बालोद (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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