दुलार तो लीजिए
वीरेन्द्र कुमार साहू
मंदिरपारा, सूरजपुर (छत्तीसगढ़)
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मैं कब से यही पड़ा हूं,
सिरहाने के नीचे
जमीन पर
जरा नजरों से
उठा तो लीजिए।
चांद कब का ठहरा है,
सरोवर में
कुमुदनी के बीच में
जरा हाथो से
रास्ता
बना तो दीजिए।
देखिए तो
वो तारा जरा
मधीम हो
चला है
जरा धूल को
हटा तो दीजिए।
कुछ परिंदे
भूखे ही लौट
जाते हैं दरवाजे से
थोड़े और दाने
बिखेर तो दीजिए।
कब तक कोई
निराश जीवन काटेगा,
जरा बाहों में
भर कर
दुलार तो लीजिए।।
परिचय :- वीरेन्द्र कुमार साहू
निवास : भैयाथान रोड, मंदिरपारा, जिला सूरजपुर (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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