ये जनम-जनम का नाता है
आनंद कुमार पांडेय
बलिया (उत्तर प्रदेश)
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इतना भी दूर नहीं है माँ,
क्यों लाल मेरे चिल्लाता है।
तेरे और मेरे बीच सुनो,
ये जनम-जनम का नाता है।।
तुझको हर वो कुछ देती हूँ,
जो तेरे मन को भा जाये।
कोई भी वस्तु नहीं जग में,
जो तेरे जी को ललचाये।।
तु मेरा राजा बेटा है,
ये बात गवारा मत समझो।
अब तुझे बताना होगा हमें,
क्या तेरा नेक इरादा है।।
इतना भी दूर नहीं है माँ,
क्यों लाल मेरे चिल्लाता है।
तेरे और मेरे बीच सुनो,
ये जनम-जनम का नाता है।।
है मेरे आँख का तारा तु,
जीवन का एक सहारा तु।
है अरमानों की बगिया का,
इक अदभूत सुमन हमारा तु।।
अपनी माँ की इस ममता पर,
कभी प्रश्न खड़ा न कर देना।
मेरे जीवन को लाल मेरे,
आनंद ज्योति से भर देना।।
जीवन की हर कठिनाई को,
तुझे कोसो दूर भगाना है।
हंसते-हंसते हीं जीना है,
हंसते-हंसते मर जाना है।।
इतना भी दूर ...






















