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पद्य

मेरे भारत का कमाल
कविता

मेरे भारत का कमाल

प्रियंका पाराशर भीलवाडा (राजस्थान) ******************** मेरे भारत का कमाल बढ़ा दिया मान संख्या का कर के सिर्फ शून्य का इस्तेमाल बतलाया दशमलव का ज्ञान गणना सिखाकर पूरा किया विज्ञान जन्मी यहाँ विश्व की पहली सभ्यता वसुधैव कुटुंबकम की है यहाँ मान्यता दिया विश्व को प्रथम धार्मिक ग्रंथ, ऋग्वेद सर्वप्रथम लोकतंत्र की अवधारणा, है भारत की देन सहिष्णुता का है मजबूत आधार यहाँ के मानव में बसता है अद्भुत कलाकार कला और ज्ञान का दिया अपार भंडार विश्व गुरू मानकर पूजता है इसे संसार जन्में यहाँ वीर सपूत जो देश रक्षा मे त्याग दे प्राण शत्रु को परास्त कर दे चला के शब्दभेदी बाण विविधता मे एकता को लिए चले संभाल करता हमें गौरवान्वित मेरे भारत का कमाल परिचय :- प्रियंका पाराशर शिक्षा : एम.एस.सी (सूचना प्रौद्योगिकी) पिता : राजेन्द्र पाराशर पति : पंकज पाराशर निवासी : भीलवाडा (रा...
रंगत बरखा की
कविता

रंगत बरखा की

माधुरी व्यास "नवपमा" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बदले मौसम की रंगत से, बदल गया है सारा समा। सावन बरसे, झूम-झूम के, गगन-धरा को चूँम-चूँम के। देखो तो कितना मतवाला, हो गया है अब ये जहाँ। बदले मौसम की रंगत से, बदल गया है सारा समा। झरने छनक-छनक बहते, नदियाँ उफ़न-उफ़न कहती। सारा इतना स्नेह तुम्हारा, मुझमें समा गया है कहाँ। बदले मौसम की रंगत से, बदल गया है सारा समा। ठंडी-ठंडी हवा है चलती, रोम-रोम खुशी है भरती। सारा आलम है मस्ताना, पुलक उठा है रवा-रवा। बदले मौसम की रंगत से, बदल गया है सारा समा। उमड़-उमड़कर गरजे बदली, तड़प-तड़पकर चमके बिजली। देखो मौसम हुआ दीवाना, सूरज-चन्दा छुपे है कहाँ। बदले मौसम की रंगत से, बदल गया है सारा समा। चहक-चहक वर्षा की बदली, चुपके-चुपके सबसे कहती। अपना जीवन भले मिटाना, देना जग को दुआ सदा। बदले मौसम की रंगत से, बदल गया है...
नीचे धरती ऊपर आसमान
कविता

नीचे धरती ऊपर आसमान

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** नीचे धरती ऊपर आसमान है ठहरा वहाँ तक अपना यह तिरंगा है लहरा बलिदानों की गाथा है इसमें छुपी हुई प्रेरणा का असीम श्रोत है इसमें गहरा आज गायेगा हर भारत वासी स्वर से स्वाभिमान, आत्म निर्भरता को छहरा आपदाओं व विपदाओं को झेलकर अभी-अभी देश अपना, है यह उबरा अरूप अदृश्य, कुटिल कठोर कोविड वायरस का था आक्रामक सा चेहरा फिर भी, यातनाओं, प्रताडनाओं की कुटिल चालों से जरा भी नहीं सिहरा बढता रहे देश हमारा, नित सुमार्ग पर चरित्र व संयम का रहे, इस पर पहरा जय जय भारत ! जय हो प्यारा तिरंगा प्रति वर्ष क्षितिज पर यों ही जाये लहरा। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन ...
ऐ मेरी कलम
कविता

ऐ मेरी कलम

शिव चौहान शिव रतलाम (मध्यप्रदेश) ******************** ऐ मेरी कलम, तू क्रांति लिख धरा की शोणित माटी लिख वीरों की आन-बान-शान लिख विप्लव गान लिख शौर्य का गुणगान लिख हिंद की शक्ति/पहचान लिख कुछ नहीं तू बस इतना लिख जो दे गए अपनी जाने-वतन उनकी कुर्बानी लिख जिंदगानी की अमर कहानी लिख बेवाओ के माथे का सिंदूर/अंगार लिख बहिनों की राखी का डोर लिख माँ के दूध का कर्ज़ लिख बाप के अरमां/फर्ज़ लिख बेटी का रूदन पुकार लिख बेटे के अश्रु की धार लिख भाई का मनोबल लिख परिवार का संबल लिख पुष्प की अभिलाषा लिख शहिदों की परिभाषा लिख ऐ मेरी कलम तू क्रांति लिख...... परिचय :-  शिव चौहान शिव निवासी : रतलाम (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आद...
आजाद की गोली से
कविता

आजाद की गोली से

रमेश चौधरी पाली (राजस्थान) ******************** आजाद की गोली से, भगतसिंह की बोली से, भागे थे अंग्रेज... गांधी की राठी से। शत्रीय सीरवी के हल से, राणा की तलवार से, भागे थे अंग्रेज... जनता के अदम्मीय साहस से। रानी लक्ष्मी बाई की वीरता से, ठाकुर कुशाल सिंह की एकता से भागे थे अंग्रेज... बहादुर शाह ज़फ़र की अगवाई से। उधम सिंह के अदम्मिय साहस से, तात्या टोपे के बलिदान से, भागे थे अंग्रेज... मंगल पांडे के विद्रोह से। बिस्मिल और रोशनसिंह के नेतृत्व से, ब्रिटिश खजाना लूट से, भागे थे अंग्रेज... काकोरी काण्ड की बदौलत से। सुगाली माता के आर्शीवाद से, आई माता के परम धैर्य से, भागे थे अंग्रेज... मां भवानी की कृपा से। गर्व है हमे उन वीर माताओं पर, जिसने ऐसे शुरवीरो को जन्म देकर, सींचा है अपने रक्त के बलिदान से, मातृ भूमि की शहादत को। परिचय :- रमेश चौधरी नि...
आजादी
कविता

आजादी

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** न हम हिन्दू न हम मुस्लिम और न सिख ईसाई हैं। हिंदुस्तान में जन्म लिया है तो पहले हम हिंदुस्तानी हैं। आजादी की जंग में इन सब ने जान गमाई थी। तब जाकर हमको ये आजादी मिल पाई थी। कैसे भूल उन सब को वो भी हमारे बेटे थे।। पर भारत माँ अब बेबस है और अंदर ही अंदर रोती है। अपने ही बेटों की करनी पर खून के आंसू पीती है। धर्म निरपेक्षय देश हम सबने मिलकर बनाया था। पुनः खण्ड खण्ड कर डाला अपने देश बेटों ने।। क्या हाल बना दिया अपनी भारत माँ का अब।। कितनी लज्जा कितनी शर्म आ रही है अपने बेटों पर। भारत माँ रोती रहती एक कोने में बैठकर। क्या ये सब करने के लिए ही हमने आजादी पाई है। और धूमिल कर डाले आजादी के उन सपनों को। और मजबूर कर दिया अपनो की लाशों पर रोने को।। चल कहाँ से थे हम कहाँ तक आ पहुंचे। और कहां तक गिरना है तुम बत...
७५ वां स्वतंत्रता दिवस
कविता

७५ वां स्वतंत्रता दिवस

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** देश ७५ वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। जनमानस खुद को, कोरोना का गुलाम पा रहा है। जिस समानता के अधिकार को पाया था। इतनी जद्दोजहद से, आज दो-गज की दूरी पर भी डरा जा रहा है। देश ७५ वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। धर्म की आड़ लेकर खेल-खेलती रही सियासतें। धर्म को इंसानियत से, अलग न कोई भी कर पा रहा है। वोट की राजनीति का हाल तो देखो। मुद्दा जाति गणना का अब उठाया जा रहा है। देश ७५ वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है । जनमानस खुद को कोरोना का गुलाम पा रहा है। मर रहा देश आज कोरोना से, भुखमरी, बेरोजगारी, डूबती अर्थव्यवस्था की परेशानी से, जिंदगी में जहर खाने को आज जहां पैसे नहीं है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। देश ७५ वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है । जनमानस खुद को सियासी कोरोना का गुलाम पा...
आज आया स्वतंत्रता दिवस
कविता

आज आया स्वतंत्रता दिवस

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** देखो-देखो आज आया कितना। पावन पर्व असंख्य माताओं के पुत्र। बलिदान पशचात गुलामी से। हम सब भारतवासी हुए आजाद। आज आया स्वतंत्रता दिवस। पावन पर्व आया संग अपने। अपार खुशियां लाया,स्वतंत्र। भारत देश की महिमा अपरंपार। आज आया स्वतंत्रता दिवस। भारत वासियों के उर छाया। हर्ष अपार स्वतंत्रता दिवस। गाथा बलिदानियों का भंडार। जिनमें अल्पायु में ही भारत। आजाद कराने प्रबल रक्त उबाल। आज आया स्वतंत्रता दिवस। सकल भारतवासी सादर नमन करें। उन सभी मातृभूमि भक्त। बलिदानियों को जिनकी। एकता ने भारत को। स्वतंत्र करा स्वतंत्रता दिवस पर्व। मनाने का अवसर दिलाया। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं ...
वो रात
कविता

वो रात

कीर्ति सिंह गौड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** वो रात न सोने वाली थी वो रात जागने वाली थी। ऊपर से बादल गरजे थे नीचे लोगों के सपने थे। चारों दिशायें गाती थी नया सवेरा लाती थीं। २०० वर्ष ग़ुलामी के कैसे हमने वो काटे थे। आख़िर वो दिन आ ही गया जब अपना भारत लगे नया। आओ इस आज़ादी को जी भर के फिर से जी लें हम। जो आज़ादी देकर चले गए उनके आँगन में खेलें हम। वीरों की इस आज़ादी पर अब पूर्ण अधिकार हमारा है। घर-घर में देखो आज सभी लहराया तिरंगा प्यारा है। परिचय :- कीर्ति सिंह गौड़ निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी र...
तिरंगा लहराए
गीत

तिरंगा लहराए

प्रमोद गुप्त जहांगीराबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** हृदय में लहरें उठती हैं- जब-जब ये तिरंगा लहराए, बलिदानी जो बलिदान हुए- वह याद सभी हमको आये। इस माटी का मोल जरा- पूछो तो फौजी भाई से- बेटा जब बॉर्डर पर हो- तब पूछो उसकी माई से, अपनी भारत माँ के किस्से- हमको अम्मा ने बतलाए। हँसकर फांसी पर झूले- आजादी के मतवाले थे, सावरकर, शेखर, सुभाष- और भगत सिंह निराले थे, इन वीर सपूतों के कारण ही- आजादी को हैं हम पाए। परिचय :- प्रमोद गुप्त निवासी : जहांगीराबाद, बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) प्रकाशन : नवम्बर १९८७ में प्रथम बार हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेठ मासिक पत्रिका-"कादम्बिनी" में चार कविताएं- संक्षिप्त परिचय सहित प्रकाशित हुईं, उसके बाद -वीर अर्जुन, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक जागरण, युग धर्म, विश्व मानव, स्पूतनिक, मनस्वी वाणी, राष्ट्रीय पहल, राष्ट्रीय नवाचार, ...
कोरोना का टीका
गीत

कोरोना का टीका

अख्तर अली शाह "अनन्त" नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** राहत सरकारी पाना हो, गर तुझको सुखदाई। कोरोना का टीका जाकर, लगवा प्यारे भाई।। ****** टीका नहीं लगाओगे तो, कैसे सफर करोगे। कंट्रोल के राशन के बिन, कैसे पेट भरोगे।। सुविधाओं से वंचित रहना, तो होगा दुखदाई। कोरोना का टीका जाकर, लगवा प्यारे भाई।। ***** अगर परीक्षा देनी पहले, टीका बहुत जरूरी। लापरवाही क्षम्य नहीं है, हसरत रहे अधूरी।। शर्त यही पहली प्रवेश की, हमने यार लगाई। कोरोना का टीका जाकर, लगवा प्यारे भाई।। ***** हो कोई सम्मेलन चाहे, उसको मान दिलाए। टीका लेने वाला ही तो, प्रथम पंक्ति में जाए।। जो अपना ही दुश्मन हो, कब जाने पीर पराई। कोरोना का टीका जाकर, लगवा प्यारे भाई।। ****** सेवाहित ऑफिस जाना हो, लो टीका फिर सेवा। वेतन रुक जाएगा वरना, दूर रहेगा मेवा।। टीके का प्रमाण रहे बन, ...
स्वतंत्रता का झंडा
कविता

स्वतंत्रता का झंडा

रूपेश कुमार चैनपुर, सीवान (बिहार) ******************** भारत के आजादी पर्व को, मिल-जुलकर हम मनाएंगे, देश के अमर शहीदों के हम, जण गण मन दोहराएंगे, देश के खातिर हम सब अपना लहू दान कर जाएँगे, देश के वीर शहीदों पर हम, इतिहास नया बनवाएँगे आजादी के दीवाने हम हैं बस आजादी लाएंगे, माँ भारती के आँचल की हम लाज हमेशा बचायेंगे, केसरी माथे पर बांधा हरे से उपवन है साजा सफेदी दिल में बसा कर हम इस तिरंगे को आसमां तक पहुंचाएगे, तिरंगे के तीन रंगों का, अस्तित्व कभी न मिटने देंगे, बल, शांति और हरियाली, मतलब अब समझाएँगे, देश के गद्दारों को, मिट्टी मे हम मिला देंगे, जान जाए तो जाए पर, दुश्मन के आगे शीश नहीं झुकने देंगे, भगत, सुभाष, चन्द्रशेखर, महात्मा, गोखले, उधम, राजेन्द्र, मंगल, लक्ष्मीबाई, के सपनों को सच कर जाएँगे, स्वतंत्रता का झंडा हम, शान से युगों-...
मैं भारत की बेटी हूँ
गीत

मैं भारत की बेटी हूँ

आरती यादव "यदुवंशी" पटियाला, पंजाब ******************** मैं भारत की बेटी हूँ, भारत का गीत सुनाती हूँ गाँधी, बोस और चंद्रशेखर की कुर्बानी को गाती हूँ, भगत सिंह भारत माँ की ममता का कर्ज चुकता है इसके दामन की रक्षा हेतु सूली पर चढ़ जाता है, लड़ी लड़ाई झांसी वाली, दुश्मन उससे हार गए जाने कितने देश भक्त, जो शीश भारत पर वार गए, स्वतंत्र, समृद्ध और सबल भारत की आज़ादी को गाती हूँ मैं भारत की बेटी हूँ, भारत का गीत सुनाती हूँ ।। जब अंग्रेजी सत्ता की तानाशाही ना बर्दाश्त हुई भारत की भोली जनता जब उनसे बहुत हताश हुई, भड़क उठी ज्वाला हर दिल में, स्वतंत्रता संग्राम की गली-गली फिर लहर चली इक आज़ादी के नाम की, भारत के लालों के आगे दुशमन देखो हार गए, भारत के लालों को देखो, भारत पर शीश वो वार गए, सींचा जिसको रक्त बूँद से, मैं वो किस्सा बतलाती हूँ, मैं भारत की बे...
भारत की महिमा
गीत

भारत की महिमा

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** गाओ माँ भारती की महिमा, जीवन सुखमय आराम है.... वीर सपूतों ने दे दी बलिदानी, मातृभूमि खातिर हो गए कुर्बानी। उनके वीरता को करे सलाम हैं ... जग में सोने की चिड़ियाँ कहलायें, विश्व पटल पर जो परचम लहरायें। यही भारत भूंईया के काम हैं... अमर शहीदों को नमन करते हैं, हर-पल, हर-क्षण वंदन करते हैं। यही तो मातृभूमि की धाम हैं तीन रंगों से निर्मित हैं तिरंगा, आन-बान-शान इनके है अंगा। माँ भारती की असली दाम हैं ... अनेकता में एकता यही विशेषता हैं, समन्वय भाव पुष्प यही विशालता हैं। भारत की करते हम बखान हैं ... भारत देश प्राणों से प्यारा हैं, गंगा यमुना सरस्वती तीनों धारा हैं। दृश्य अनुपम नयनाभिराम हैं ... स्वदेश की रक्षा हिमालय करती है, कन्याकुमारी चरणों को धोती हैं। चारों दिशाओं में तीरथ धाम है...
मेरा वतन हिन्दुस्तान
कविता

मेरा वतन हिन्दुस्तान

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** मेरा वतन - मेरा वतन प्यारा है हिन्दुस्तान सबसे प्यारा मेरा प्यारा वतन है हिन्दुस्तान गगन को छूले ऊँचा शिखर जहाँ हिमालय जहाँ से निकले नदियाँ वो मेरा हिन्दुस्तान उतर का बड़ा मैदान नदियों से है खुशहाल खाद्यान जहाँ निपजे वो वतन है हिन्दुस्तान विभिन्नता में भी एकता जहाँ नजर आती हो विभिन्न जाति धर्मो का प्यारा है हिन्दुस्तान काशमीर से केरल तक एकता का संचार पूर्व से पश्चिम एक सूत्र में बंधा हिन्दुस्तान एक संविधान की छत्रछाया में सवा अरब एक भाषा से जुड़ा मेरा प्यारा हिन्दुस्तान हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई वतन के लाल इनकी ताकत से फले-फूले मेरा हिन्दुस्तान मेरे वतन की महक से महके दुनियाँ सारी 'नाचीज' तकदीर से तू जन्मा वो हिन्दुस्तान परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : म...
लौट आना
कविता

लौट आना

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** वापिस लौट आना मेरे तरकश से ब्रह्मास्त्र छूटने से पहले, वापिस लौट आना मेरे द्वारा प्रकृति के नियम तोड़ने से पहले, वापिस लौट आना मेरा किसी और से दिल लगाने से पहले, वापिस लौट आना मेरी आंखों में अश्क सूखने से पहले, वापिस लौट आना मेरी रूह को जिस्म छोड़ने से पहले, वापिस लौट आना मेरे दिल और दिमाग में तूफान उठने से पहले। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्...
गुरू
कविता

गुरू

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** अमन चैन शांति का जब पाठ पढ़ाते हैं, हमारी संस्कृति सभ्यता संस्कारों परम्पराओं का भारतीयता लिए मातृभाषा शब्दों में उभर कर ब्रह्मा विष्णु महेश का सार्थक स्वरूप हर भारतीयों में नज़र आती हैं। गुरू की महिमा गुरू ही जाने, गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागूं पाय बलिहारी गुरु आपकी जो गोविंद दियो बताए, जाने प्रतिभा लक्ष्य साधकर समर्पित एकलव्य ने परिभाषा किया गुरूचरणों में, अमृततुल्य निस्वार्थ अपनी प्रतिभा से गुरूपद निखार दिया जनमानस में भारतीयता लिए नज़र आतीं हैं। प्रलोभन निस्वार्थ भाव से जो भारतीयता में मिलती हैं समर्पण भाव सृष्टिकर्ता ईश्वर के प्रति एकरूपता विश्व में कहीं नहीं मिलती तभी तो भारतीयता गुरूचरणों में पथप्रदर्शक बनकर के आ जाती हैं। सदीयों से जिन्दगी सुख दुःख का मेला है महापुरुषों ने...
मानव शरीर
कविता

मानव शरीर

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** पंच तत्व का पुतला मानव जीवन-संचालन अंगों से तंत्र-समन्वय अद्भुत अनुपम अंगराज उर नख से शिख तक प्रेषित करता रक्त निरन्तर ले जातीं धमनियाँ शिराएँ लातीं अविरल स्पंदन चलता आजीवन प्राण वायु फुफ्फुस तक जाकर प्राणवान करती काया को श्वसन चले अंतिम सांसों तक नयन निहारें सारे दृश्य मानस पट पर चित्र बनाएँ जीभ स्वाद का ज्ञान कराए संभाषण में बने सहायक कर्ण सुनें संतुलन बनाएँ दाँत करें चक्की का कार्य वाणी होती अधरासीन कर्म करें कर छूकर पाएँ भौतिक ज्ञान पग पथ पर चलकर पा लेते अपना अभिलाषित गंतव्य क्षणभंगुर नश्वर शरीर है करे आत्मा इसमें वास जिस क्षण तन से हटे आत्मा मानव रूपी चलित देह तब शव में परिवर्तित होती है मिल जाती फिर भू-तत्वों में परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ ...
सितारा
कविता

सितारा

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** नील-नील मलयानिल लहराता यह लहराता महासागर कहीं-कहीं उठता है धुआं उठता है धूलबव न्डर धुन्दधून्द छाई रहती है रवि किरण के प्रथम चरण में एक जैसा प्रकाश फैला लगता चमका भारती का भालमुगुटहै तरु पल्लव पुष्प फल है गिराकर करती है भारती की आरती खगरव राग सुनाते अपनी देते संगीत मधुर है देखो दर्शन देने चली आ रही भारती मेरा भारत आज हुआ है विश्व समर में विजयी उठो उठो रे भारतवासी आज हुआ है उजियारा भारत मां के भालमुगुट का चमका आज सितारा परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्...
मैं शायर हु तेरे शहर का
गीत

मैं शायर हु तेरे शहर का

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मैं शायर हु तेरे शहर का मैं आशिक हु तेरे शहर का कहे सभी दीवाना मुझ को मैं पक्का हु अपनी धुन का मैं शायर हु तेरे शहर का ।। गीत गाना मेरी आदत में जीत जाना मेरी आदत में सब दिलो पर राज करता हूँ सभी का मैं काज करता हूँ मैं यार हूँ सभी दिलबर का मैं शायर हु तेरे शहर का ।। हर तरफ मेरी आशिकी है हर तरफ मेरी मौसिकी है जो भी देखे मुझे एक बार देखता ही रहे बार बार मैं यार नही एक बार का मैं शायर हु तेरे शहर का ।। मुझ में तेरी रवानी देख भूली हुई वो कहानी देख याद तेरी पल पल आऊंगा याद में तेरी बस जाऊंगा तू सुरीला मेरी बहर का मैं शायर हु तेरे शहर का ।। मेरा अरमान तेरा सपना कोई तो हो मेरा अपना जान मुझे एक बार कहना तू ही तो है मेरा गहना है पैगाम तेरे सफर का मैं शायर हु तेरे शहर का मैं आशिक हु तेरे शहर का ।। परि...
बेटी
कविता

बेटी

विनय अन्थवाल देहरादून (उत्तराखण्ड) ******************** बेटी का जो जन्म, जिस घर में होता है सौभाग्य भी दस्तक, उस घर में देता है। बेटी का ये जन्म दुर्लभ होता है। मानव क्यों इसको समझ न पाता है। बेटी का तो जन्म अलभ्य होता है मानव ही जग में सभ्य होता है। बेटी जन्म से ही तो वंद्य होती है नारी बनकर के भव्य होती है। रक्षा बेटियों की अब सबको करनी है बेटियों से ही सँवरती धरणी है। अनमोल है बेटी अनुपम नारी है सबको तो अब ये समझना जरुरी है। परिचय :- विनय अन्थवाल जन्म स्थान : ग्राम चन्दी चारिधार पोस्ट बरसीर जखोली रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड पिता : श्री तोताराम अन्थवाल माता : श्रीमती पुष्पा देवी शिक्षा : आचार्य (एम. ए.) संस्कृत, शिक्षा शास्त्री बी.एड. सम्प्रति : अध्यापन एवं लेखन। निवासी : रतनपुर, देहरादून (उत्तराखण्ड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधि...
हमारी आज़ादी
कविता

हमारी आज़ादी

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून” पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** २०० वर्षों तक यहाँ अंग्रेज करते रहें मन मानी हमने भी यह ठान लिया था हार न हमने मानी कुछ खोना पड़ता है जो तुम कुछ भी पाना चाहो वीर शहीदों की दास्ताँ तुम जो बताना चाहो सभी धर्म और रीति रिवाज सिर्फ यहीं मिलते हैं आजाद भारत में रह कर सबके चेहरे खिलते हैं अनेकता में एकता भारत की है विशेषता स्वाभिमान की रक्षा के लिए समस्त भारत एक था तीन रंगो से बना तिरंगा हमको यह सिखलाता हम जो हैं तो भारत माँ पर आँच न आने पाता केशरिया रंग सिखलाता साहस और बलिदान श्वेत रंग ने रखा हमेशा सच्चाई का मान हरा रंग संपन्न बनाये चक्र सदा गतिशील राष्ट्र बने ये श्रेष्ठ हमारा और रहे प्रगतिशील १५ अगस्त है हम सबका प्यारा राष्ट्रीय पर्व जिस पर है हम भारतियों को स्वयं से ज्यादा गर्व उन वीर शहीदों के सर पर आजादी का ताज है...
अटल श्रेष्ठ
कविता

अटल श्रेष्ठ

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** हे भारतरत्न अटल श्रेष्ठ कवि। सदा रहेगी राष्ट्र में अमिट तेरी छवि।.... माँ भारती के प्रखर ओजस्वी लाल। अद्भुत कृत्यों को तेरे करता है जग सलाम। राष्ट्रहित में बने संघी प्रचारक। युगदृष्टा और बहुजनी विचारक। मस्तिष्क सदा, तिलक चंदन। करते हम भारतीय नमन अर्चन वंदन। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hin...
स्वतंत्र संग्राम
कविता

स्वतंत्र संग्राम

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** सब देश देखते रहे गए हमारा स्वतंत्रता संग्राम युद्ध प्रारंभ हुआ १० मई १८५७ अंत हुआ १५ अगस्त १९४७ में कितनी मुसीबत आ गई थी देश में पर हमने हार नहीं मानी थी एक से बढ़कर एक ने साथ दिया था भारत में स्वतंत्र संग्राम युद्ध भी जीता था वो देश के बलिदान भूल गए थे १८५७ प्रभुत्व लार्ड डलहौजी गवर्नर थे २०० साल पहले अंग्रेज के बाद ईरान और पारसी आ गए हिंदुस्तान में देने लगे भड़काऊ भाषण एक भारतीय को दूसरे भारतीय के लिए बस गए मराठा, कानपुर, झांसी दिल्ली और अवध में मंगल पांडे, बरकत खान, बेगम , महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस आदि। जलियांवाला बाग कांड, नई दिल्ली विधानसभा बम ब्लास्ट, असहयोग आंदोलन, नमक कानून आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन आदि खून पसीना एक कर दिया और देश को स्वतंत्र करवा दिए सब देश देखते रहे गए हम...
तिरंगे का मान
कविता

तिरंगे का मान

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** तिरंगे का मान रखना है। आया-आया स्वतंत्रता दिवस का। त्योहार आया आओ-आओ हम सब। मिलकर झूमे,नाचे,गाए। स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाए।१। कदम कदम बढ़ाए जाओ। स्वतंत्रता दिवस की खुशी के। गीत गाए जाओ। स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा। तीन रंगों का फहराना है। हमारा तिरंगा हमारी शान है।२। हमारा तिरंगा संपूर्ण विश्व में। हमारा मान है। तिरंगे के मान और शान में। कभी कमी ना होने देंगे। चाहे हमें मान'शान बचाने में। प्राण ही क्यों ना देने पड़े।३। आया-आया स्वतंत्रता दिवस आया। आओ-आओ हम सब मिलकर। झूमे,नाचे,गाए स्वतंत्रता दिवस। धूमधाम से मनाए। तिरंगे का मान रखना हैं।४। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौल...