माँ को खोजता हूँ
धैर्यशील येवले
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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जब मैं निराशा से
भर जाता हूँ
माँ को खोजता हूँ
माँ, माँ
तुम कहा हो, माँ
मैं माँ को चहु और
खोजते,
माँ
कहि नही पा कर
हताश हो
घर के एक कोने में
चुपचाप बैठ जाता हूँ।
अपने ही भीतर से
मुझे एक स्नेह भरी आवाज़
सुनाई देती है,
क्यो उदास हो रहे हो
मैं सदा ही तुम्हारे साथ हूँ
तुम्हारे भीतर ही हूँ मैं
मैं चौकन्ना हो जाता हूँ।
खुशी से बुदबुदाता
माँ माँ
क्या तुम सचमुच मेरे
भीतर हो
फिर वही स्नेहसिक्त
आवाज आती है
हा बेटे हा
मैं सचमुच
तुम्हारे भीतर हूँ
मैं खुशी से झूम जाता हूँ।
मुझे फिर सुनाई देता है
जब तुम प्रेम व स्नेह से
सदव्यवहार करते हो
मैं ही तो होती हूँ
जब तुम्हारा ह्रदय
परपीड़ा से भर जाता है
मैं ही तो होती हूँ
तुम दुसरो की चिंता कर
उन्हें मदद करते हो
वो चिंता वो मदद
मैं ही तो होती हूँ,
प्रेम व दया से भर
जब तुम अश्रु बहाते हो
तुम्हारे वो अश्रु...