आज बारी तेरी आई
सीमा रंगा "इन्द्रा"
जींद (हरियाणा)
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मान ले बात मात-पिता की
आज बारी तेरी आई।
पढ़ ले ,निखार ले खुद को
वक्त को जानने की बारी आई ।
उठ प्रातः कर मेहनत पूरा दिन
समय का सदुपयोग की बारी आई ।
भूल जा मस्ती, शरारतें, त्याग निंद्रा
उज्जवल भविष्य करने की बारी आई।
कम वक्त है पास तुम्हारे
नसीहतें मानने की बारी आई ।
नहीं रहेंगे तुझे कहने वाले एक दिन
तड़पाएगा वक्त ,समझने की बारी आई।
अकेला रह जाएगा इस दुनिया में
आज संभलने की बारी आई ।
कहीं पछताता ना रह जाए सीमा
आज वक्त को जानने की बारी आई।
परिचय :- सीमा रंगा "इन्द्रा"
निवासी : जींद (हरियाणा)
विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ हेतु प्रचार, रक्तदान शिविर में भाग लिया।
उपलब्धियां : गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से...