श्याम पधारो
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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रक्षक बनकर श्याम पधारो,
ले लो फिर अवतार।
पावन भारत की धरती पर,
अब जन्मो करतार।।
घोर निराशा मन में छाई,
मानव है कमजोर।
काम क्रोध मद मोह हृदय में,
थामो जीवन डोर।।
शरण तुम्हारी कान्हा आए,
तिमिर बढ़ा घनघोर।
अब भी चीर दुशासन हरते,
दुष्टों का है जोर।।
सतपथ में बाधक बनते हैं,
बढ़ते अत्याचार।
गीता का भी पाठ पढ़ा दो,
व्याकुल होते लाल।
नैतिकता की दे दो शिक्षा,
बन कर सबकी ढाल।।
आनंदित इस जग को कर दो,
चमकें सबके भाल।
धर्म सनातन हो आभूषण,
बदले टेढ़ी चाल।।
राग छोड़कर पश्चिम का हम,
रखें पूर्व संस्कार।
त्याग समर्पण पाथ चलें नित,
हमको दो वरदान।
शील सादगी को अपनाकर,
नित्य करें उत्थान।
सत्य निष्ठ गंम्भीर बनें हम,
दे दो जीवन दान।
जीवन सार्थक कर लें अपना,
कृपा करो भगवान।।
मर्यादा के रक्षक प्रभु तुम,
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