मुफलिसी में भी मजा है
होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ हरियाणा
********************
तुलसीदास गंगा के तट पर,
मुफलिसी दिन रात बिताये,
उनकी सच्ची भक्ति देखकर,
खुद श्रीराम मिलने को आये।
मुफलिसी में नरसी भगत ने,
प्रभु भक्ति का छोड़ा न साथ,
श्रीकृष्ण भात भरने आये थे,
आया पकड़ा नरसी का हाथ।
मुफलिसी में दिन बिताये थे,
गरीब सुदामा करता विनती,
श्रीकृष्ण ने आकर घर भरा,
दौलत नहीं, हो पाई गिनती।
सबरी प्रभु भजन कर रही,
मुफलिसी में बिताती दिन,
ईश्वर श्रीराम, पहुंचे मिलने,
झूठे बेर खिलाये गिन गिन।
रैदास को कौन नहीं जानता,
मुफलिसी उनके काम आई,
गंगा में जब पैसा फेंका था,
सुन रैदास, गंगा हाथ बढ़ाई।
मन चंगा तो कटौती में गंगा,
गरीबी,भक्ति दोनों ही दर्शाता,
रैदास की गरीबी और भक्ति,
रह-रहकर मन को तरसाता।
नामदेव,कबीर और त्रिलोचन,
सधना, सैनु निम्र वर्ग कहलाए,
भक्तिभाव दिल में अति जागा,
ईश्वर के वो बहुत पास आए।
मुफलिस हो जन जन के ...