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स्तुति

नवरात्रि और नारी
कविता, स्तुति

नवरात्रि और नारी

उत्कर्ष सोनबोइर खुर्सीपार भिलाई ******************** नारी जिससे देवता भी हारे काली जिससे स्वयं शंभु हारे द्रौपदी जिससे पांडव कौरव हारे वो स्वयं किल्ला कंकालिन तो आदि दुरगहीन माँ चण्डिका है कभी नरसिंह अवतार की भगिनी रतनपुर की माँ महामाया है राजा कामदल की आशापुरा वो डोंगरगढ़ बमलाई है वो बाबा बर्फानी की आरध्या नंदगहिन माँ पाताल भैरवी है वो बस्तर की माई महतारी देवी दंतेश्वरी शक्ति स्वरूपा है कोरबा की मंगल धारणी सर्वमंगला देवी स्वरूप है वो झलमाल गंगा मइया जैसे शीतल गांव-गांव की शीतला महारानी है। दुर्गम राक्षस मर्दानी देवी दुर्गा चण्ड मुण्ड संघारणी महिसासुरमर्दिनि है शशि शीश धारणी, त्रिनेत्र शोभनी वो त्रि देव पूजनीय माँ शक्ति है नारी है वो जग अवतारी वो सृष्टि की महतारी है। जिससे रावण, पांडव, राम, कृष्ण, विष्णु, स्वयं शंभु भी हारे है वो नारी है जिससे देवता...
माँ चंद्रघंटा
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माँ चंद्रघंटा

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** तृतीय रूप माता रानी का, घंटा चंद्र कहाता। देती माँ संतुष्टि सभी को, धन आरोग्य प्रदाता। घंटा चंद्र विराजित जिनके, माता सौम्य स्वरूपा। शरण रहें जो भक्त आपकी, दूर रहें भव कूपा। हाथ त्रिशूल धारती माता, अर्ध चंद्रमा सोहे। सौम्य स्वरूप देख माता का, जन जन का मन मोहे। अक्षत पुष्प चढ़ा माता को, दीपक ज्योति जलाते। शरण रहें जो भक्त आपकी, मनवांछित फल पाते। धनुष गदा तलवार हाथ में, अर्ध चंद्रमा प्यारा। है त्रिदेव की शक्ति समाहित, मोहित है जग सारा। केसर दूध चढ़ाकर माँ को, फल मिष्ठान चढ़ाते। पा आशीष चंद्रघंटा का, अपना वंश बढ़ाते। शहद प्रसाद परम प्रिय माँ को, पीत वर्ण है प्यारा, श्वेत वस्त्र सिंदूर पुष्प से, माँ का रूप सँवारा। सारे जग की पालनकर्ता, संकट दूर करो माँ। राक्षस पापी नीच जनों का, तु...
जीवन सफल बना दो माँ
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जीवन सफल बना दो माँ

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** जीवन के अंधेरों को दूर भगा दो माँ, नैया मेरी पार लगा दो माँ, ये जीवन जो तुमने दिया, जीवन की राह आसान बना दो माँ, आते हैं तेरे दर पर, बन कर सब सवाली, मुझ पर भी कृपा कर, मेरा भविष्य उज्जवल बना दो मांँ, दुःख दर्द सब दुर कर, मेरा जीवन सफल बना दो माँ, लक्ष्य जीवन का मेरे, उसको साकार बना दो माँ, मांँ होकर सब जानती हो, दीन दुखियों का दर्द पहचानती हो, मुझ पर भी दया दृष्टि बनाकर, सब काम मेरे आसान बना दो माँ, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्द...
महागौरी वन्दन
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महागौरी वन्दन

आचार्य नित्यानन्द वाजपेयी “उपमन्यु” फर्रूखाबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** महामाता महागौरी जगत कल्याणकारी हैं। तुम्हारी आस हमनें नाव दरिया में उतारी है।। शिवानी शैलजा अम्बा त्र्यम्बक तोषिणी गौरी। चतुर्भुज रूप है अनुपम, धरे हैं चंद्रमा मौरी।। लिए त्रयशूल दाएँ कर, बजातीं वामकर डमरू। वृषभ आरूढ़ हैं माता, चलें हैं संग में भैरू।। जिन्होनें भक्त के कल्याण हित लीला प्रसारी है।।१! सुता हिमवान की हो तुम, चुना पति शंभु शंकर को। कठिन तप से पड़ी काली, रिझाया तब शुभंकर को।। पिया सितकंठ आये तब, दिया वर गौर वर्णा हो। बनी शंकर प्रिया शुभ्रा, शिवानी हो अपर्णा हो।। तभी से गौरवर्णा हो, वदन कर्पूर क्यारी है।!२! तुम्हीं दुर्गा तुम्हीं काली, तुम्हीं तो अन्नपूर्णा हो। तुम्हीं शाकाम्भरी देवी, महिष की दम्भ चूर्णा हो।। सुनैना दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गतारिणि हो। भवानी दुर्गभा अम्बा, श...
नौं दिन माता रानी के
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नौं दिन माता रानी के

संजय कुमार नेमा भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** नवरात्र का त्योहार मां की शक्ति और भक्ति का आया। सब मिल करें नौं दिन माता रानी के, विविध स्वरूपों की आराधना एवं साधना। प्रथम दिवस होती पर्वतराज शैलपुत्री की आराधना। द्वितीय दिवस आती, देवी ब्रह्मचारिणी अपने स्वरूप का दर्शन देने।। जप की माला एवं कमंडल लेकर। तीसरा दिवस आता देवी चंद्रघंटा स्वरूप का, वाहन है इनका शेर। असुरों के सहार के लिए।। हाथों में सजते सभी अस्त्र-शस्त्र। चौथा दिवस करते पूजा माता के कुष्मांडा स्वरूप के। इनके स्वरूप में समाया पूरा ब्रह्मांड का तेज, अपने स्वरूप में ही पायी तेजस्वी जगत आभा की। पांचवा दिवस आता आराधना का देवी के स्कंदमाता स्वरूप का।। माता दर्शन देती ममत्त्व का,‌ बैठी गोद में लेकर बालक रूप भगवान स्कंद का। छठवां दिन आराधना का आया माता दर्शन देती कात्यायनी रुप में।...
माँ भगवती
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माँ भगवती

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** मातु अम्बे शुभे चण्डिका, भगवती हैं पुकारो रमा। दिव्य रूपा धरा रक्षिका, प्रार्थना है पधारो रमा।। दैत्य रिपु घातिनी मालिनी, शक्तिशाली जगत तारिणी। मातु करुणामयी शालिनी, मातु शुभदा शुभे कारिणी।। सृष्टि पालन भवानी करें, मातु है दैत्य संहारिणी। आदि रूपा अलौकिक बड़ी, जोड़ते कर कमल धारिणी।। मातु महिमा सभी गा रहे, भाग्य सबके निखारो रमा। शाम्भवी धर्म संस्थापिका, ज्योत्सना ज्ञान की कामना। माँ सुधा प्रीत की दे पिला, धर्म अरु त्याग की भावना।। कर कृपा नंदिनी माँ सदा, हे विनय आज वरदायिनी। माँ नमन है वचन नित्य दे, पावनी मातु सुख दायिनी।। दूर कर कष्ट सुख दे जरा, भक्त टेरे सँवारों रमा। पापहंता शिवा भामिनी, शस्त्र धारण करे कालिका। सर्वभूतेषु ममतामयी, स्कंद माता जगत पालिका।। स्वर्ण आभा बिखेरे सदा, ...
तेरा चमक रहा दरबार
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तेरा चमक रहा दरबार

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** "मैया तेरे दरबार की, धूल का मैं एक टुकड़ा, हरि नाम दास हूं बड़ा, सुनले मेरा दुखड़ा" तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। गड़ ऊंचे मंदिर मैया विराजी, नवरूपों में सजी महारानी। सज रहे गांव गली चौराहे, नवरूपों में झांकी विराजी। देखो चल रहा जागरण ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा। तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। "सुन ले मेरा दुखड़ा मैया, थोड़ा ना कर इंतजार, बेचारा नही मैं लाल हूं, मुझपर कर उपकार" तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। नंगे-नंगे पांव मैं चलकर आया, ऊंची-ऊंची सीढ़ियां मैं चढ़कर आया। धूपबाती की ज्योत जलायी, लाल रोली का तिलक लगाया। देखो भक्त करे जयकारा ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा।। तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भ...
दीप जलाएं बैठा हूं
कविता, भजन, स्तुति

दीप जलाएं बैठा हूं

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। संगीत-गीत न तंत्र-मंत्र न, जय माता दी कहता हूं।। स्वर्ण कलश न, न स्वर्ण मूर्ति, न स्वर्णजड़ित सिंघासन है। काष्ठ आड में रखा है तुझको, जर्जर वस्त्र का आसन है। नैवेद्य नहीं फल-फूल नहीं मां,, मैं, गुड चढ़ाएं बैठा हूं।। चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। कर्पूर नहीं मां धूप नहीं, न कर पाऊं श्रृंगार तेरा। नूपुर नहीं, करधनी नहीं, ना भोगने योग्य आहार तेरा। इत्र नहीं, सिन्दूर नही मां, सर झुकाए बैठा हूं।। चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
पितृ आरती
गीत, भजन, स्तुति

पितृ आरती

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** आरती पूज्य पूर्वज की, हमारे कुल के अग्रज की श्राद्ध तिथि आज है जिनकी, दिवंगत कुल के अग्रज की क्वार पक्ष कृष्ण मनभावन, स्मृति अपनों हो पावन नयन जो दे गए सावन, यजन उनके चरण रज की आरती पूज्य पूर्वज की.... डाव, कुशघांस से अर्पण, दुग्ध तिल जौं का कर मिश्रण हो तर्पण मंत्र का पाठन, दोश हर मंगल कारज की आरती पूज्य पूर्वज की... श्राद्ध का शुभ दिवस आया, दिवंगत प्रिय की सुधि लाया दान उनके निमित्त भाया, आरती पूज्य की... श्राद्ध की षोडश तिथि न्यारी, ग्याजी हैं सरित सारी पितामह, तात, ताऊ, मातु, ताई, भाई-भावज की आरती पूज्य पूर्वज की, हमारे कुल के अग्रज की पितृ देवाय च विद्महे, कुल अग्रजाय च धीमहि, तन्नो पूर्वज प्रचोदयात परिचय :- राम स्वरूप राव "गम्भीर" (तबला शिक्षक) निवासी : सिरोंज जि...
हरि अनंत हरि कथा अनंता
कविता, भजन, स्तुति

हरि अनंत हरि कथा अनंता

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** हरि अनंत हरि कथा अनंता, रामायण है गाती। श्री हरि की महिमा का वर्णन, रामचरित बतलाती। हे अनंत हे कृपासिंधु प्रभु, सब जन शरण तुम्हारी। भव बंधन को दूर करो तुम, रखना लाज हमारी। भाद्र मास की चतुर्दशी को, शुक्ल पक्ष जब आता। सारा जनमानस नत होकर, तुमको शीश झुकाता। चतुर्दशी तिथि है अति पावन, है अनंत का पूजन। चौदह गाँठ लगा धागे में, बाँह बाँधता जन-जन। कथा सुनाते नारायण की, अनंत चतुर्दशी प्यारी। वेद पुराण सभी गाते हैं, श्री हरि महिमा न्यारी। जो ध्याता अनंत फल पाता, भवसागर तर जाता। जो हो जाता लीन आप में, दुख कलेश हर जाता। रहते शेषनाग सैया पर, जग के पालन करता। चरण शरण प्रभु रहूँ आपकी, सब सुख मंगल करता। शुभ आशीष आपका पानें, पूजन सब करते हैं। हैं अनंत, प्रभु सबकी झोली, खुशियों से भरते हैं। ...
मेरे गजानन पधारे
भजन, स्तुति

मेरे गजानन पधारे

संजय कुमार नेमा भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** शिव पार्वती के लल्ला गजानंद पधारो।। मेरे अंगना गजानन पधारो। दस दिनों के आराधना के पर्व लेकर।। गजानन भादो मास की चतुर्थी पर, खुशियों उमंगो संग हमारे गजानन पधारे। मूषक वाहन संग घर घर गणपति जी विराजे।। शिव पार्वती के लाडले मेरे गजानन पधारे। खुशियों उमंग संग, ढोल बाजे संग हमारे गजानन पधारे। बड़े-बड़े पंडालों में गणपति सजकर विराजे।। गणपति जी के माथे पर तिलक सिंदूर साजे । मोदक लड्डू संग भर-भर थाल भोग लगाते।। केला कदली और मेवा गणपति जी को भाते। प्रथम पूज्य प्रभु विघ्नहर्ता कहलाते। अपने शरीर के अंगों से बुद्धि विनायक।। तीन लोकों, को बिन बोले ज्ञान देते। बड़ा माथा तेज बुद्धि नेतृत्व क्षमता दिखलाते। छोटी आंख से देख सुनकर निर्णय लेने की, सीख देते। सूप जैसे कान हिला कर संदेश देते।। कभी किसी की बुराई मत सुनो। लंबी सूं...
देव गजानन
भजन, स्तुति

देव गजानन

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** प्रथम पूज्य तुम देव गजानन भक्तों के तुम प्रिय सदानन। माता-पिता को करके वंदन की प्रदक्षिणा गौरी नंदन। मातृ भक्त प्रभु तुम-सा न दूजा सर्व देवों में प्रथम हो पूजा। सृष्टि के तुम हो प्रतिपालक यश और श्री के तुम संचालक। मोदक प्रिय तुम मंगल दाता शुभ कारक तुम सिद्धि प्रदाता। करे "विवेक" कर जोड़ निवेदन जग कल्याण करो शिवनंदन। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक...
गणेश स्तवन
भजन, स्तुति

गणेश स्तवन

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** जय जय जय गणपति महाराजा मंगल भरण गणपति शुभ काजा विद्या बुद्धि सबको देते हैं गणेशा अंधकार उर का हर लेते महराजा गौरीसुत शिवनंदन गणपति देवा प्रथमपुज्य देवों में गणनायक देवा ऋद्धि सिद्धि के स्वामी हैं गणेशा मंगल मूरत शुभ फलदायक देवा पीताम्बर ओढ़े चार-भुजा धारी मनमोहनी सूरत भक्तन सुखकारी मोदक भोग गणेशा अति भायी मूषक वाहन की करते हैं सवारी जो भी द्वार पे तिहारे आ जाता खाली कभीं भी नहीं वो जाता विध्न-विनाशक गणनायक देवा मनवांछित फल के तुम हो दाता तेरे दर आकर मैं पुकार लगाऊँ विपदा सुना कर अरज लगाऊँ विध्न हरो हे गणेशा मैं पुकारूँ श्रद्धा पुष्प अर्पित कर मैं जाऊँ परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित...
गणेश स्तुति
भजन, स्तुति

गणेश स्तुति

अर्चना तिवारी "अभिलाषा" रामबाग, (कानपुर) ******************** भाद्रचतुर्थी तिथि अति पावन । शंभु उमा के पुत्र गजानन ।। शुभम दिवस जन्में श्री कंता । संकट नाशक प्रभु भगवंता ।। प्रथम पूज्य हे गिरिजानंदन। प्रतिपल करूँ तुम्हारा वंदन ।। मातु-पिता के तुम हो प्यारे। गौरी नन्दन शंभु दुलारे ।। बुद्धि प्रदाता हे गणनायक। संतति सुख के तुम हो दायक ।। सकल मनोरथ पूरण करते । भक्तों के प्रभु दुख हैं हरते ।। हे लंबोदर भवभय हारी । शूर्पकर्ण पीताम्बरधारी ।। लड्डू मोदक अति मन भावे । नरियल का नित भोग लगावे ।। दूब-शमी प्रभु को है प्यारी । धूप-दीप प्रभु पे बलिहारी ।। सच्चे मन जो करते सेवा । पूर्ण मनोरथ करते देवा ।। तुम्हरी महिमा जग से न्यारी । मूषक की तुम करो सवारी । जिन पर होती कृपा तुम्हारी । धन्य-धन्य होते नर-नारी ।। हे गजवंदन हे गणनायक । भक्तों के प्रभु तुम हो तारक ।। ...
श्री गणेश स्तुति
भजन, स्तुति

श्री गणेश स्तुति

राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** गौरी नंदन शंकर सुत, हे गजानन महराज। देव संग आन पधारो, पूरन कर दो काज।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. प्रथम पुज्य हो गणपति, लंबोदर महराज। मूषक वाहन चढ़ा करें, हे मंगलमूर्ति काज।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. एकदंत हे भालचंद्र, हे सिद्धि विनायक नाथ। वक्रतुंड मृत्युंजय, नमस्तुते हे नाथ।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. पीतांबर भूषण सजे, मोदक लगे हैं प्यार। हे बुद्धिनाथ कृपा करें, भक्तों पर हर बार।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. हे विघ्नराज संकट हरन, चतुर्भुज गणराज। वरद विनायक वर दे, मनवांछित फल आज।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. परिचय :-  राम रतन श्रीवास निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) साहित्य क्षेत्र : कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष सम्मान :...
मोहिनी मूरत
कविता, स्तुति

मोहिनी मूरत

सुरभि शुक्ला इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** मोहिनी मूरत मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे सिर पर मोर मुकुट सजे पैरों में पैजनियां बाजे मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे अधरों लगी बांसुरी बजाएं गोपियों का मन हर्षाएं मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे झूठ मूठ की बात बनाएं मैया को सताएं मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे ग्वालों के संग मटकी फोड़े छिप-छिप कर सब खाएं परिचय :-   सुरभि शुक्ला शिक्षा : एम.ए चित्रकला बी.लाइ. (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान) निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) जन्म स्थान : कानपुर (उत्तर प्रदेश) रूचि : लेखन, गायन, चित्रकला सम्प्रति : निजी विद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
शिव स्तुति
भजन, स्तुति

शिव स्तुति

उषाकिरण निर्मलकर करेली, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हे! मोक्षरूप, हे! वेदस्वरूप, हे! व्यापक ब्रम्ह जगदव्यापी । हे! नीलकंठ, हे! आशुतोष, तुम अजर अमर हो अविनाशी । हे! शशिशेखर, हे! सदाशिव, तुम व्योमकेश तुम कैलाशी, कृपा करो प्रभु कृपा करो, अब विघ्न हरो घट घट वासी । हे! शूलपाणि, हे! विरुपाक्ष, हे! वीरभद्र, हे! खटवांगी । हे! मृगपाणि, तुम सहस्राक्ष, हो सहस्रपाद हे! कालांगी । हे! शिवाप्रिय, हे! ललाटाक्ष, माँ शैलसुता है वामांगी , हे! भूतनाथ, तुम ही रुद्राक्ष, तुम पंचभूतों के हो संगी । हे! भुजंगभूषण, हे! मृत्युंजय, सच्चिदानंद, अंतर्यामी । देवों के देव, हे! महादेव, मैं याचक हूँ, तुम हो स्वामी । हे! अलखनिरंजन, हे! दुखभंजन, तुम करुणा के सागर हो, काम हरो अब नाम करो प्रभु, तुम निष्काम, मैं हूँ कामी । हे! अमरनाथ, हे! रामेश्वर, हे! परमेश्वर, हे! सुखकारी । हे! वृषाङ्क, ह...
पद्मासना
स्तुति

पद्मासना

उषाकिरण निर्मलकर करेली, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** आराधना करूँ, देवी पद्मासना। मैं उपासना करूँ, देवी पद्मासना। मेरे अधरों में , सुर बनके बैठो हे माँ, स्वर साधना करूँ, देवी पद्मासना। आराधना करूँ .... स्वर की देवी कहूँ, सुरपूजिता हो तुम। धवल वसन धारिणी, परमपुनिता हो तुम। तान वीणा की जैसे, सुरसरिता बहे, तेरी वंदना करूँ, देवी हंसासना। आराधना करूँ .... वाग्देवी, रमा तू वारिजासना। सुरवन्दिता तू ही, माँ पद्मलोचना। ध्यान तेरा धरूँ, माँ ध्यान मेरा रखो, मैं प्रार्थना करूँ, देवी श्वेतासना। आराधना करूँ .... वाणी, संगीत हो, भाषा वेदों की तुम। अज्ञानी हूँ मैं, माँ ज्ञान दे दोगी तुम। अब तो विनती मेरी भी स्वीकारो हे माँ, जिस भावना कहूँ, देवी पद्मासना। आराधना करूं .... परिचय :- उषाकिरण निर्मलकर निवासी : करेली जिला- धमतरी (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्र...
योगेश्वर श्रीकृष्ण
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योगेश्वर श्रीकृष्ण

निरुपमा मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** हे परम ब्रह्म श्री कृष्ण! गोलोक त्याग धरा पर आए; जगत कल्याण हेतु, असुर विनाश हेतु, ज्ञान भक्ति कर्म का मार्ग दिखाने, एवं धर्म संस्थापना हेतु। अवतरित हुए तुम, कारागार के बंधन में; फिर अशेष संघर्ष यात्रा, कंटकपूर्ण रहा हर पग; और आसुरी शक्तियों का आतंक, जिससे आर्तनाद कर उठा जग। बाधाओं का अतिक्रमण कर, हे कृष्ण! सफल योद्धा बन तुम, जीत गए हर युद्ध, जाना विश्व ने तुम्हें अपराजेय, प्रबुद्ध। प्रेम की कोमलता तथा उसकी शक्ति को, कण-कण में फैलाकर, प्रेम भाव से सराबोर संसार किया; प्रेम के शाश्वत तत्व को, मानव मन का आधार दिया। ब्रह्म और जीव की एकात्मता को, राधा संग रास रचाकर, कण-कण में विस्तार दिया। सोलह कला संपूर्ण तुम, योगेश्वर, पुरुष पूर्ण तुम। दीन सुदामा के परम सखा, भक्त के भगवान हो, गीता ज्ञान सुना...
जय हो भोलेनाथ की
भजन, स्तुति

जय हो भोलेनाथ की

डोमेन्द्र नेताम (डोमू) डौण्डीलोहारा बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** देवों के देव तुम कहलाए, हे शिव भोले भंडारी। फूल पत्ते में आप खुश हो जाते, पुजा करे नर -नारी।। सावन की पावन महीने में, जाते हैं सभी शिव के द्वार। कष्ट निवारण दु:ख हर्ता वो, खुशियां मिले हजार।। ब्रम्हां विष्णु तेरी महिमा गाए, तन-मन में बसे रहो तुम हरदम। क्या कहे भोलेनाथ जी, आप हो सत्यम शिवम् सुन्दरम।। शिव की शक्ति शिव की भक्ती, शिव की महिमा अपार। शिव ही करेंगे हम सभी, का सुन्दर बेड़ा पार।। जय हो जय हो शिव शंकर, जय हो भोलेनाथ की। चल रें कांवरिया शिव के, नगरिया जय हो बाबा अमरनाथ की।। कहाँ मिलेगा मथुरा कांशी, कहाँ वृंदावन तीरथ धाम। घट-घट में तो शंकर भोले जी विराजे, शीश झुकाकर डोमू कर लो सादर प्रणाम।। परिचय :-  डोमेन्द्र नेताम (डोमू) निवासी : मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा जिला-बालोद (छत्तीस...
शंभू
भजन, स्तुति

शंभू

आस्था दीक्षित  कानपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** कराल तन पे जो बसा, कपाट पे तो भस्म है। मृदंग गर्जना करे की, शंभू के ही अस्म है। धम- धमा के चल रहे है, देखो ये धरा हिली। मिट्टी खिलखिला उठी, न जाने क्या खुशी मिली। नाचता ये तन बदन, गगन हुआ मगन मगन। कब बिजलियां चमक उठे, सब आपका ही आकलन। डमरू डम डमा रहा, त्रिशूल का अलख जगा। तुमको बस है पूजना, है कौन क्या? कोई सगा। चंद्रमा तो सज रहा, और बज्र सी भुजाएं हैं प्रचंडता को पा रही, ये किसकी अस्मिताएं है हर बार हम प्रणाम कर के, शंभू तुमको देखते। ललक भरा है ये गगन, ये धार हाथ जोड़ते। ये वाद पात नाचते, की द्वार है शिवाय के। ये बेल पत्तियां हंसी, जो सजी है पांव में। विश्व की प्रजातियों के, एक तुम ही नाथ हो। तुमको ही तो रट रही, दिखों प्रभु जो साथ हो। मैं डर रही, तड़प रही, दिखो प्रभु, कभी दिखों। जय जय शंभू कह ...
गुरु वंदना
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गुरु वंदना

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** श्रीगुरु चरण वंदन करूँ करबद्ध करी गुण गाउँ देऊ बुद्धि बल सकल ज्ञान तव सेवक मैं हूँ नादान मुझ पर कृपा करो गुरु कुमार्ग पर कभी ना जाऊँ न्याय सत्य पालन करूँ पितुमात का मान बढ़ाऊं मुझको कोई नहीं चाहत सुख औरों का मेरी दौलत अश्रु पराए मैं पोछूँ सर्वदा दीनों पर लुटाऊं मैं खुशियां विश्वास आधार हो सबका संसार हो सुन्दर स्वर्ग सा कोई ना हो बीमार लाचार स्वप्न सारे हो जाए साकार परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ले...
गुरूब्रम्हपद को  नमन
कविता, स्तुति

गुरूब्रम्हपद को नमन

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** अमन चैन शांति का जब पाठ पढ़ाते हैं, हमारी संस्कृति सभ्यता संस्कारों परम्पराओं का भारतीयता लिए मातृभाषा शब्दों में उभर कर ब्रह्मा विष्णु महेश का सार्थक स्वरूप हर भारतीयों में नज़र आती हैं। गुरू की महिमा गुरू ही जाने, गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागूं पाय बलिहारी गुरु आपकी जो गोविंद दियो बताए, जाने प्रतिभा लक्ष्य साधकर समर्पित एकलव्य ने परिभाषा किया गुरूचरणों में, अमृततुल्य निस्वार्थ अपनी प्रतिभा से गुरूपद निखार दिया जनमानस में भारतीयता लिए नज़र आतीं हैं। प्रलोभन निस्वार्थ भाव से जो भारतीयता में मिलती हैं समर्पण भाव सृष्टिकर्ता ईश्वर के प्रति एकरूपता विश्व में कहीं नहीं मिलती तभी तो भारतीयता गुरूचरणों में पथप्रदर्शक बनकर के आ जाती हैं। सदीयों से जिन्दगी सुख दुःख का मेला है महापुरुषों ने हम...
अकल्पित असीमित
भजन, स्तुति

अकल्पित असीमित

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** प्रभु नाम महिमा अकल्पित असीमित, इसे तो जगत को बताना पड़ेगा। कवि इसको लिपिबद्ध करते रहेंगे, और गायक को फिर इसको गाना पड़ेगा। प्रभु नाम ... प्रभु नाम पावन है गंगा के जल सा, तू लग नाम जप में,और डुबकी लगा ले। तू जग कार्यो के संग सुमिरन में लग जा, और जग के नियंता की करुणा को पा ले। अगर जग की माया में चिपका रहा तो, तुझे भोग योनि में आना पड़ेगा। प्रभु नाम... तुझे श्रेष्ठतम योनि ईश्वर ने भेजा, तो तू श्रेष्ठ कर्मो से प्रभु को रिझा ले। प्रभु नाम सुमिरन है मुक्ति का साधन, तू रम राम सुमिरन में, मुक्ति को पा ले। अगर प्रभु कृपा को गँवायेगा तू तो, नहीं ज्ञात किस योनि जाना पड़ेगा। प्रभु नाम... अनैतिक तरीके से धन यदि कमाया, तो धन, गाड़ी, बंगला तो तेरा बनेगा। मगर तेरे बच्चे पले गलत धन से, तो कोई नहीं योग्य कर्मठ बनेगा। अभी...
हे कैलाशपति
कविता, भजन, स्तुति

हे कैलाशपति

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** हे कैलाशपति ! हे गिरिजापति ! हम भक्त हैं तेरे, भोले भाले हे जगतपति! हे गौरीपति ! तुम सगरे जग से हो निराले हे देवाधिदेव ! महेश हो तुम तेरी महिमा को पार न पावे त्रिलोक के स्वामी हो तुम लंगड़ा, गिरि पर चढ जावे तेरी भक्ति की शक्ति से स्वामी असंभव सब संभव हो जावे हे योगी महा ! हे अन्तर्यामी ! तुम से प्रलय में, लय हो जावे हे त्रिशूल धारी ! डमरू निनाद कर भक्ति की डगर, आज बता दे हे विषपायी! गंगा को बहा कर पावनता की लहर, अब जगा दे। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्त...