अंतिम छोर
मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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बाबुल के नैनो की प्यारी
आज चढ़ी है बलिवेदी पर
लालची मानव तू धिक्कार
मन में संजोकर पी का प्यार।
मजबूरी है नाम जिसका
वह बेटी कहलाती है।
सह, शक्कर अनेक ताने
सताई जाती है बार-बार।
मन में संजोकर पी का प्यार।।
बाबुल का घर आंगन छोड़।
अंग अंग लाल चुनरिया ओढ़
मुड़ मुड़कर देखती
घर आंगन का अंतिम छोर।
परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं...




















