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गद्य

राष्ट्रीय पशु बनाम कुत्ता शालाएँ
व्यंग्य

राष्ट्रीय पशु बनाम कुत्ता शालाएँ

मनोरमा पंत महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** आज कुत्तों की सभा चल रही थी, जिसमें सभी नस्ल के, सभी उम्र के कुुत्ते शामिल थे। एक वयोवृद्ध कुत्ता सभा को संबोधित कर रहा था, बाकी सभी श्रोता की मुद्रा में थे। बीच सभा में एक नेतानुमा, गली का नौजवान कुत्ता उठ खड़ा हुआ और कहने लगा- क्या आप लोगों को मालूम है, गाय को "राष्ट्रीय पशु " घोषित करने की तैयारी चल रही है? वयोवृद्ध कुत्ते ने कहा- हमें इससे क्या? बनने दो। नेतानुमा गली का कुत्ता बोला- क्या हमारी कोई औकात नहीं? हमें क्यों नहीं राष्ट्रीय पशु बनातें? अब तों सभा में शोर मच गया, सभी गली के कुत्ते के पक्ष में बोलने लगे। वयोवृद्ध कुत्ते ने कहा- मूर्खो! चुप हो जाओं। गाय को पूरा भारत "माता "कहता है। उसे पूजा जाता है। दूध के साथ ही उसका मूत्र और गोबर दिव्य माना जाता है, और हम सब जगह गंदगी फैलाते रहते हैं। हमारी और गायों की...
आदिम रंग में रँगा बाजार के प्रतिकार का पर्व छठ पूजा
आलेख

आदिम रंग में रँगा बाजार के प्रतिकार का पर्व छठ पूजा

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** घोर बाजारीकरण के युग में भी बाजार का प्रतिकार करते घोर आदिम और पुरातन रंग में सराबोर लोक-ठाठ एवं लोक-आस्था व गहन श्रद्धा-भक्ति का परम पावन पर्व है छठ पूजा! यह शुद्धता, सात्विकता, स्वच्छता, सामूहिकता, सरलता और पवित्रता का महापर्व है! छठ पूजा प्रकृति और मनुष्य के बीच तथा प्रकृति एवं पुरुष के बीच आत्मिक संबंध, गहन जुड़ाव एवं समन्वय का पर्व है! इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह किसी भी प्रकार के कर्मकांड, मूर्ति पूजा, पाखंड-आडंबर और पंडा-पुरोहित के हस्तक्षेप से पूर्णतया मुक्त मनुष्य की विशुद्ध श्रद्धा एवं गहन आस्था का पर्व है! यह पर्व जाति, धर्म, वर्ण एवं ऊंँच-नीच तथा राजा-रंक और अमीर-गरीब के भेदभाव से बहुत ऊपर एवं बिल्कुल अछूता है!! प्रकृति के साथ मनुष्य के आत्मीयता से आप्लावित सह-अस्तित्व और लोक संवेदना का पर्व है यह! मिट्ट...
सरहद पर दीवाली
लघुकथा

सरहद पर दीवाली

मनोरमा पंत महू जिला इंदौर म.प्र. ********************                                       आज प्रकाशपर्व दीपावली है। सरहद पर तैनात भारतीय सैनिक दीपावली पूरे उत्साह से मना रहे हैं। उनका विश्वास था कि यह सरहद ही उनकी आन बान और शान है, जिसकी रक्षा करना ही उनका सबसे बड़ा धर्म है। आज वे सरहद पर मोमबत्ती जलाकर उजास की आराधना कर रहे हैं। सरहद को जगमग देख पाकिस्तान के सीमाप्रहरी भी निकट आ गये। एक पाकिस्तानी सैनिक ने कहा "दीपावली की मुबारकबाद !" लीजिए मीठा मुँह करिये "कहते हुऐ भारतीय सैनिकों ने मिठाई उनकी ओर बढा दी।" आज दोनों ओर प्रेम और सौहार्द्र का वातावरण था। सरहद के दोनों ओर के सैनिकों के मन में भाईचारे की पवित्र जोत प्रज्ज्वलित हो रही थी, और वे सोच रहे थे काश! यह सरहद नहीं होती तो अच्छा होता। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा पंत सेवानिवृत : शिक्षिका, केन्द्रीय विद्या...
छठ पूजा
आलेख

छठ पूजा

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** प्रकाश और ऊष्मा की संजीवनी धारे देदीप्यमान सूर्य की करूं मैं उपासना सर्वतोभावेन कुशल हर्षित आनंदित हों सब लोक-आस्था पर्व की अशेष मंगलकामना! भारतीय समावेशी संस्कृति की साकार प्रतिमूर्ति उस छठ पूजा की अशेष मंगलकामनाएँ जहाँ उत्कर्ष ही नहीं, अपकर्ष का... उदयाचलगामी सूर्य की ही नहीं, अस्ताचलगामी सूर्य की भी पूरी श्रद्धा-भक्ति से ओतप्रोत होकर वंदना करते हैं कि बुरे/गर्दिश/पतन के दिन में भी किसी की उपेक्षा/अवमानना नहीं करो..... उसके भी सुदिन आएंगे और तब वह तुम्हारे जीवन को आलोकित करने, ऊष्मा की संजीवनी से आप्लावित करने की क्षमता रखता है.... जहाँ सभी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं कोई छोटा बड़ा, अमीर गरीब, धनी निर्धन, स्त्री पुरुष, सवर्ण अवर्ण नहीं...... बस श्रद्धा के पात्र हैं! जहाँ केला सेब नारियल ही नहीं, सुथनी शकरकंद व गगरा नीं...
लहू वही है जो वतन के काम आए।
संस्मरण

लहू वही है जो वतन के काम आए।

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** वैश्विक स्तर की कोरोना महामारी से जूझ रहे समूचे विश्व के लोगों के समक्ष अपनी और अपनों की जान बचाना सबसे बड़ी चुनौती थी। आये दिन दुर्दांत खबरें सुन मानो कलेजा फटा जा रहा था। हर तरफ से केवल बुरी खबरें कानों को झकझोर रही थीं। ऐसे समय पर इंसान के चेहरे पर मौत को लेकर जो भय व्याप्त था वह सुस्पष्ट देखा जा रहा था। सड़कों पर पसरे सन्नाटे के बीच सायरन बजाती हुई निकलने वाली एंबुलेंस वाहन की आवाज सुन कलेजा धक सा हो उठता था। कि कहीं वह एंबुलेंस वाहन हमारे ही किसी आस-पास के व्यक्ति से संबंधित कोई बुरी खबर लेकर नही आ रही हो। संकट कालीन इस बुरे दौर में कोई यदि दूसरों की सहायता करते नजर आये तो वह साक्षात ईश्वर लगने लगता था। हम और आप सबने बचपन से लेकर आज तक बड़े बुजुर्गों से यही सुना कि मारने वाले से बचाने वाला सदैव बड़ा होता है।स्कूलों में...
प्यारी भाभी
कहानी

प्यारी भाभी

निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद (झारखंड) ********************  सीमा ओर रीता दोनों एक ही कॉलेज ओर एक ही क्लास में पढ़ती है, दोनों पक्की सहेली है। रीता के पिता का इलेक्ट्रॉनिक समान का बड़ा शोरूम था। सीमा एक गरीब मजदूर की बेटी थी। इससे उनकी दोस्ती पर कोईप्रभाव नहीं पड़ा। दोनों में अटूट प्रेम था। रीता का बर्थडे था उसने सीमा को निमंत्रित किया ओर तुम्हें बर्थडे पार्टी में जरूर आना है अन्यथा मैं केक नहीं काटुंगी सीमा को रीता की जिद्द के आगे झुकना पड़ा उसने हाँ कर दी। शाम को जब पार्टी के लिये तईयार होने लगी तो उसे एक भी ऐसे कपड़े नजर नहीं आये जिन्हे पहनकर पार्टी में जा सके उसने जाने का प्रोग्राम कैंसिल करना पड़ा वह नहीं चाहती थी की उसके चलते सीमा को शर्मिंदगी का सामना करना पड़े वह मन मारकर रह गई इधर जब सीमा का इंतजार कर के रीता गाड़ी लेकर उसके घर पहुंची ओर बोली तुम क्यों नहीं आई तुम जानती हो मैं...
भाषाई निपुणता
लघुकथा

भाषाई निपुणता

सीमा तिवारी इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** आर्यन चुपचाप बैठ जाओ और मुझे शाम की रूप चौदस की पूजा की तैयारियाँ करने दो | माँ की ये बात सुनकर नौ वर्ष का मासूम आर्यन आकर बरामदे में चुपचाप बैठ गया | भैया आप पीछे अटाले में रखे लकड़ी के पटियों से भोलू के लिए शेड बना दो | माँ काम कर रही है और पापा ऑफिस गए हैं | मुझे देखते ही वो मुझसे बोला | मैं जो कि आर्यन के घर पेइंग गेस्ट हूँ और पीएच. डी. कर रहा हूँ | गृह मालकिन की अनुमति से शेड बनाने में जुट गया | तुम्हारा भोलू आएगा ? मैंने पूछा | हाँ कल वो पटाखों की आवाज से बहुत डर गया था | जोर-जोर से भौंक रहा था तो मैंने उसे बिस्किट देकर कोने में बिठाकर उस पर बोरा डाल दिया था | देखना भैया वो आज भी आएगा | आर्यन विश्वास से बोला | शेड तैयार हो गया था | सब त्यौहार मनाने में व्यस्त थे | आर्यन नए कपड़े पहन कर दरवाजे पर खड़ा भोलू का इंतजार क...
दिवाली के पटाखे
लघुकथा

दिवाली के पटाखे

निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद (झारखंड) ******************** श्याम ओर मोहन दोनों में घनिष्ट मित्रता थी। दोनों एक-एक दूसरे पर हमेशा समर्पण का भाव रखते है। स्कूल से कालेज तक दोनों टापर थे मोहन फर्स्ट तो सोहन सेकेंड। मोहन जानता था की श्याम जान बूझकर सेकेंड होता है एक प्रश्न हल नहीं करता की मोहन फर्स्ट हो जाए ये बात मोहन के पिताजी भी जानते थे उनकी दोस्ती का लोहा सभी मानते थे। एक साल पहले श्याम के पिता का देहांत होगया था वो एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। उसके घर के हालात ठीक नहीं थे। दीपावली आरही थी, श्याम चिंतित रहता था इस साल दीवाली कैसे मनेगी घर में छोटी बहन भी थी माँ ओर बहन के कपड़े तो जरूरी थे। श्याम की चिंता मोहन से छिपी न रही उसने पूछा श्याम क्यों परेशान हो सच कहो दोस्ती की कसम। श्याम कसम के आगे मजबूर हो गया बोला अब मेरी आगे की पढ़ाई नहीं हो सकती मुझे कही नौकरी करनी पड़ेगी ...
घायल शेरनी
कहानी

घायल शेरनी

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************  विमला का पति शहर के नामचीन सेठ के यहां बंगले पर चौकीदारी करता था। विमला की १२ साल की बेटी थी। विमला भी सेठ के यहां झाड़ू पोछे का काम करती है। विमला के पति को सेठ ने परिसर में ही एक कमरा सर्वेंट क्वार्टर के रूप में दे रखा था। विमला का पति शराबी था। वह अक्सर शराब के लिए विमला से रुपए मांगता एवं झगड़ा करता रहता। यह बात सेठ एवं उसके पूरे परिवार को मालूम थी। एक बार सेठ सपरिवार किसी रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे। अचानक रात में सेठ की हवेली में डकैत आ जाते हैं। हवेली में विमला का पति अकेला था। उसने डकैतों को रोकने की कोशिश की। डकैतों ने विमला के पति की हत्या कर दी। लूटपाट करके सोने के कुछ जेवर विमला के घर के पीछे तफ्तीश भटकाने की नियत से फेंककर चले गए। सुबह हत्या की जानकारी मिली। सेठ को बुलवाया गया। सेठ ने विमला पर शक जाहिर किया। ...
पीढ़ी का अंतर
लघुकथा

पीढ़ी का अंतर

मंजिरी "निधि" बडौदा (गुजरात) ******************** हेलो कैसी है? तबियत तो ठीक है ना? रोहिणी ने कल्पना से पूछा l कल्पना बोली हाँ बस ठीक ही हूँ l बेटा बहु बच्चों के साथ आज नखराली ढाणी गए हैं l मैं घर पर ही हूँ l सही है इच्छा तो हमारी भी बहुत होती है कि हम भी बाहर जाए परन्तु संकोच वश बेटा बहु से कह नहीं पाते क्या करें l चलो तो अपना ध्यान रखना l बीच बीच में फोन कर लिया कर कल्पना l इतना कह कर रोहिणी ने फोन रख दिया l माँ मैं वीणा और परी पिक्चर देखने जाने वाले हैं और खाना भी बाहर ही खाकर आएंगे l आप खाना खा लेना l रोहित ने कहा l मेरे तो पैर दुःख रहे हैं मैं नहीं आती रोहिणी ने जवाब दिया l दादी आप भी चलो ना l प्लीज दादी l परी ने कहा l बेटा, दादी मॉल में जाकर क्या करेंगी? ना तो उन्हें एस्कलेटर चढ़ना आता है और ना ही वहाँ कोई मंदिर है कहकर वीणा हँस दी l उन्हें तो सिर्फ मंदिर जानें में ही दिलचस्प...
दोस्त
लघुकथा

दोस्त

निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद (झारखंड) ******************** अब्दुल ओर राम दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी। दोनों के परिवार वाले भी उनकी दोस्ती से खुश रहते थे। दिवाली दशहरा में राम के नये कपड़े आते तो अब्दुल के भी साथ में आते ईद में अब्दुल के कपड़े बनते तो राम के भी बनते। दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाती कोरोना काल में राम के पिताजी कोरोना की चपेट में आ जाते है हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो जाती है। राम घबरा जाता है वह क्या करे उसने सभी रिश्तेदारों को पड़ोसियों को फोन किया परंतु सबने आने से मना कर दिया। राम को समझ में नही आ रहा था वह क्या करे। तभी उसे अब्दुल का ख्याल आया उसने तुरंत फोन किया। ओह ये तो बहुत गलत हुवा तुम घबराओ मत म़ैं पापा के साथ तुरंत पहुँचता हुँ। थोड़ी देर में अब्दुल अपने पिता, चाचा ओर भाई के साथ हॉस्पिटल में आता है। अब्दुल के पिता ने राम को सांत्वना दी ओर अ...
रेलगाड़ी की खिड़की
कहानी

रेलगाड़ी की खिड़की

अमिता मराठे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सावन की छुट्टी खतम हो गई थी। वह अष्टमी से बासी दशहरे के अवकाश पर गाँव आया था। जब से साबरमती में जाॅब लगा वह बहुत खुश था। माँ ने आवाज देकर कहा सावन सामान पूरा पेक कर दिया है। दो तीन कमरों वाला मकान ढूंढ ले तब सब आसान हो जायेगा। हां माँ, "आप ठीक कह रही हैं।" रेलगाड़ी समय पर चल पड़ी। गाँव के दोस्तों को अलविदा कहते सावन गाड़ी में बैठते ही खिड़की से सभी प्रियजन लद ओझल होने तक हाथ दिखाता रहा। फिर आराम से सामान जमाया और अपने आसपास देखने लगा। दूसरी खिड़की के पास एक वृद्ध महिला सिमटी हुई बैठी थी। उसने सामान भी सीट पर अपने आसपास लगाकर रखा हुआ था। शायद वह अकेली थी। आप कहां जा रही है? पूछने पर कुछ अस्पष्ट जवाब दिया। फिर सावन भी चुप हो खिड़की के बाहर देखने लगा। वृद्धा टकटकी लगाए बाहर देख रही थी। हर स्टेशन पर वह खिड़की के बाहर झुककर ऐसी देखती ...
धरती का रुदन
आलेख

धरती का रुदन

राजकुमार अरोड़ा 'गाइड' बहादुरगढ़ (हरियाणा) ******************** प्रकृति का इतना अधिक दोहन हो गया कि उसकी चीत्कार आज पूरे विश्व में रह रह कर हर पल हर क्षण हमारे कानों में गूंज हमें हमारी भयंकर भूल का एहसास करा रही है। मौत की सिहरन जिन्दगी का अर्थ समझा रही है। गांव, शहर, जंगल सब के सब पेड़ विहीन होते जा रहे हैं। धरती कराह रही है,ऐसा क्या हो गया, क्यों हो गया, कैसे हो गया, हर कोई हतप्रभ हैरान है, उसे रास्ता ही नहीं सूझ रहा है- "घर गुलज़ार, सूने शहर, बस्ती बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई, आज फिर जिन्दगी महँगी और दौलत सस्ती हो गई।" बस कुछ ऐसा ही सोचता मैं घर के पीछे बने पार्क के लॉन में नरम नरम घास पर लेट गया, क्या करूँ, सोच भी इन दिनों ज़वाब नहीं देती जैसे ही करवट ली तभी धरती के अन्दर से रुदन की आवाज़ सुन चौंक उठा, मैनें कानों को धरती से लगाया, मुझे लगा कि जैसे वो कह रही है आज मैं बहुत दुःखी ...
गंगा माँ और इजा
कविता, स्मृति

गंगा माँ और इजा

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** अविरल प्रवाहित जगत जननी की, अद्भुत धारा और गति आज देखी। इंदिरा एकादशी के अवसर इजा , जनसमूह अद्भुत भीड़ आज देखी।। पितर मुक्ति प्रदायिनी एकादशी, श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बतलाई। पितर मुक्ति और आत्म शांति की, इंदिरा एकादशी परम बतलाई।। कर नमन जगज्जननी गंगा को माँ, जन्म दात्री इजा चरणों का ध्यान किया। तेरी कृपा से ही तेरे निरमित्त इजा, पाँचवां गंगा स्नान किया।। किया था प्रथम जब हे इजा, तेरी अस्थि विसर्जन करवाने आया। किया था द्वितीय इजा हे जब, त्रिमासी केस समर्पित करने आया।। छमासी तृतीय स्नान इजा, वासंतिक अवसर पर तूने करवाया। बाज्यू की पुण्यतिथि पर इजू तूने, वर्षा का स्नान चतुर्थ करवाया।। इजा तेरे पुण्य प्रताप-प्रसाद की, फलश्रुति जो तूने पंचम भी करवाया। शब्द नहीं इजा तेरी कृपा के लिए, स्नान जो तूने पंचम भी करवा...
माँ पर अटल भरोसा
लघुकथा

माँ पर अटल भरोसा

माधुरी व्यास "नवपमा" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** पांडाल से नौ कन्याएँ सज-धजकर गरबा मंडल के आयोजक महिला और पुरुषों के छोटे से समूह के साथ मूर्तिकार के यहॉं पहुँची। उसमें से पहुँचते ही अंशी बेटी बोल पड़ी- "अरे अंकल ये क्या कर रहे हो? माँ के तिलक को आँख जैसा क्यों बनाया?" उन्हीं में से मिशी बोली- "और ये आँख से आग क्यों निकल दी आपने?" शक्ति संचय करता तीसरा नेत्र प्रज्वलित कर मूर्तिकार ने पलटकर देखा। उसका मन प्रसन्न हो गया शक्ति स्वरूपा माँ के नौ बाल रूप देख बरबस ही हाथ जोड़कर मस्तक झुका दिया। भावविभोर हो मन ही मन कहने लगा माँ तुम्हारे दर्शन से साधना सफल हुई। अंशी अपने नेत्र फैलाकर जवाब की प्रतीक्षा में देखने लगी मूर्तिकार कुछ कहता उसके पहले ही उसकी माँ ने जवाब दिया- "अरे अंशी बेटू माँ के नेत्र से आग नहीं निकल रही। यह तो शक्ति नेत्र है।" ओ! तो....इससे पॉवर मिलेगा मम्मा "ह्म्म्म ...
सावित्री
कहानी

सावित्री

अमिता मराठे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सावित्री ने बाबा को खांसी की दवाई दी और पैरों में तथा छाती पर सरसों के तेल से मालिश की और बोली बाबा अब आराम से सो जाओ। मैं भी सोती हूं। कल से ऑफिस भी जाना है। वह जानती थी बाबा अभी चुप है लेकिन उन्हें बहुत कुछ बोलना है। बाबा ने कहा, "बेटी थोड़ा और रूक जाओ।" 'मीठी को छोड़ आई।' हां कहते वह दरवाजे की ओर जाने लगी। वह रो रही थी ना! नहीं, बाबा शान्त थी लेकिन कहती थी बाबा बहुत याद आयेंगे। वहां का माहौल कैसा था बेटा? बाबा आज ही सब सवाल पूछोगे, अभी सो जाओ, कल बातें करते हैं कहते सावित्री ने बाबा को चादर ओढ़ा दी और कमरे बाहर हो गई थी। रात के दो बज रही थी, जाते हुए मीठी ने एक चिट्ठी दी और बोला था, दीदी इसे घर पर पढ़ना। सोचकर भी सावित्री ने चिट्ठी नहीं खोली थी। मुझसे गुस्सा हुई मीठी ने चिट्ठी में मुझे गाली दी होगी और क्या लिखती वह। नींद भी त...
दादा-दादी का गाँव
लघुकथा

दादा-दादी का गाँव

मनोरमा पंत महू जिला इंदौर म.प्र. ********************                                         चिड़ा-चिड़ी, उड़ते-उड़ते आखिर भीरू गाँव पहुँच ही गये। अब उनकी थकान काफूर हो चुकी थी, गाँव की सीमा पर एक आम का पेड़ था, जिस पर बहुत से पक्षी बैठे थे। जब वे वहाँ गये तो परदेसी जानकर वहाँ की चिड़ियों ने उनका स्वागत किया। अपना परिचय देते हुए, चिड़ा बोला- "मेरे दादा-दादी का गाँव है यह। मरने के पहले उन्होंने कहा था, कि हमारे गाँव कभी भी जरूर जाना। नदी में नहाकर किनारे के पेड़ों पर खा पीकर विश्राम कर लेना।" "कहाँ हैं नदी?" वहाँ रहने वाले चिड़े ने दुःखी स्वर में कहा "ये जगह-जगह गड्डे देख रहे हो न। यही नदी थी।" अतिथि चिड़ियाँ ने पूछा- "और पेड़?" नदी नहीं तो पेड़ कहाँ? अच्छा खासा छोटा सा जंगल था। शहर स विकास नामक जानवर आया और उसने सब तबाह कर दिया। बड़ी दूर से आए चिड़ा-चिड़ी जो वहीं बसने का सपना लेकर...
किरायेदार
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किरायेदार

डॉ. बी.के. दीक्षित इंदौर (म.प्र.) ******************** कहीं कोई स्वयं में मस्त, कहीं कोई भीड़ में भी तन्हा, कहीं जीविका चलाने के लिए हाड़ तोड़ परिश्रम तो कहीं वज़न कम करने हेतु घण्टों पसीना बहाना। कोई धन अर्जित करके भी आनंदित नहीं तो कोई धन अभाव के उपरांत भी अत्याधिक प्रसन्न। कोई अलग-अलग नस्ल के श्वान घर की रखवाली के लिए पालता है। लेकिन न चाहते हुए श्वानों की रखवाली करते-करते मजबूर सा प्रतीत होता है। कोई बिल्लियाँ पालकर स्वयं को पशु प्रेमी मान बैठता है। लेकिन अंदर से खुश नहीं हो पाता। कोई भव्य आलीशान भवन बनाकर कुछ दिन स्वयं की प्रशंसा करते हुए दिखता लेकिन अंदर से सुख धीरे-धीरे ख़त्म होने लगता। कोई किराए का शानदार बंगला लेकर बंगले के असल मालिक को मूर्ख समझता है। ऐसे लोगों का दर्शन थोड़ा अलग हटकर रहता है, ऐसे लोग कहते हैं कि दुनिया से जाना ही है तो मकान निर्माण में क्यों खपें? जीवन जी भरकर ज...
पानी पर तैरती पार्टी…
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पानी पर तैरती पार्टी…

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ********************  आपके जन्मदिन के अवसर पर बापूजी एक तरफ सूखा दिन और दूसरी तरफ इस कुलीन समाज की यह महंगी ड्रग पार्टी! क्या विरोधाभास है !! एक तरफ भीगे सूखे से किसानों की आंखों में आंसू! एक तरफ तो इतना पैसा है कि ये लोग नहीं जानते कि इसका क्या करें! पैसा कहां से आता है, यह तो हम जैसे मध्यम वर्ग के लोग नहीं जानते! इतने पैसे से वे शिष्टाचार और नैतिकता के बारे में बात नहीं कर सकते! यह भी सच है! लेकिन अपने माता-पिता के पैसे के आदी ये अमीर बच्चे आदी हैं! वे व्यापार नहीं करते हैं! अभी भारत में ड्रग नेटवर्क को देख रहे हैं!युवा पीढ़ी को इससे कैसे बचाएं? यह एक बड़ी, बहुत बड़ी चुनौती है! कल मुंबई गोवा क्रूज पर मिले ड्रग्स की पार्टी को देखकर लगता है कि भारत को व्यवस्थित रूप से परेशान करने की साजिश में कई दुश्मन कामयाब हो रहे हैं! अब होगी जांच! ह...
उखड़ा बरगद
लघुकथा

उखड़ा बरगद

मनोरमा पंत महू जिला इंदौर म.प्र. ********************                                           सवेरे-सवेरे शोर सुनकर मैं घर के बाहर आया, देखा लोगों का एक हूजुम घर के आगे खड़ा था। मुझे देखते ही एक नेतानुमा आदमी आगे बढ़कर कर्कश स्वर में चिल्लाया- ’’आप गाँव में नये-नये आए हो, आप की हिम्मत कैसे हुई, बरगद का पेड़ लगाने की? किससे पूछा आपने?’ मैं हकबका गया। सूझ नहीं पड़ रहा था कि मैं क्या जबाव दूँ। जुम्मा-जुम्मा गाँव में आये पन्द्रह दिन ही हुए थे, और यह बिन बुलाये मुसीबत। जीप में घूमने निकला था, रास्तें में जड़ से उखड़ा छोटा सा बरगद का पेड़ मिला, सोचा, गाँव की खाली पड़ी जमीन पर लगा दूँगा। ऐसा ही किया, पर सिर पर ऐसी मुसीबत आऐगी, सोचा न था। सोच में डूबा ही था कि फिर से नेतानुमा आदमी गुर्राया "बड़े होकर बरगद पूरी जमीन घेर लेगा, रास्ता बंद हो जावेगा, समझे।’’ मैं गिड़गिड़ा कर माफी माँगने...
लक्ष्मी उवाच
व्यंग्य

लक्ष्मी उवाच

सुधा गोयल बुलंद शहर (उत्तर प्रदेश) ********************                             "सुनो विष्णु, तुम्हारे पांव दबाते सदियां निकल गई। मेरे हाथ दुखने लगे हैं। आखिर कोई तो सीमा होगी। कब तक दबाऊंगी? मैं तुम्हारे पांव के आगे की दुनिया देख ही नहीं पाती।" भगवान विष्णु चौंक कर शेषनाग की शैय्या से एकदम उछल कर बैठ गये। उन्होंने लक्ष्मी को छूकर देखा। उनकी बातों से बगावत की बू आ रही थी। विस्मय से पूछा- "क्या हुआ भगवती? आज मुझे नाम लेकर पुकार रही हो। अभी तक तो प्राणेश्वर या जगदीश्वर कहकर बुलातीं थीं। आज सीधे नाम पर आ गई। और यह क्या कह रही हो कि चरण नहीं दबाओगी। क्यों? पृथ्वीलोक का चक्कर लगा कर आ रही हो?" "मुझसे क्यों पूछते हो विष्णु? तुम तो तीनों लोकों के अन्तर्यामी और स्वामी हो। मेरे मन में हाहाकार मचा है। क्या तुम मेरा मन नहीं पढ़ सकते? आखिर कब तक सोते रहोगे। बहुत सो लिए, अब नहीं सोने दूंगी। स्...
महात्मा गाँधी तथा प्रकृति
आलेख

महात्मा गाँधी तथा प्रकृति

मनोरमा पंत महू जिला इंदौर म.प्र. ********************                                            एक ऐसे देश में जहाँ प्राचीन काल से ही जल जमीन और जंगल को पूजा जाता रहा, उसी देश में इन तीनों का बर्बरतापूर्वक विनाश ने गाँधीजी को अगाध दुःख में डाल दिया था। गाँधी जी के लिये मानव जीवन का कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं था। प्रकृति के प्रति उनकी संवेदनशीलता बहुत विस्मयकारी थी। प्रकृति के अंधाधुंध दुरूपयोग के प्रति वे बहुत चिंतित रहते थे, उनकी चिंता के मूल में हमेशा गाँव के गरीब किसान और देश के साधारण जन रहते थे। उनका कहना था - "हम प्रकृति के बलिदानों का प्रयोग तो कर सकते हैं, किंतु उन्हें मारने का अधिकार हमें नहीं है" गाँधीजी का यह भी कहना था कि अहिंसा तथा संवेदना न केवल जीवों के प्रति बल्कि अन्य जैविक पदार्थों के प्रति भी होना चाहिए। इन पदार्थों का अति दोहन जो लालच और लाभ के लिए क...
प्राचीन धरोहर “देवरा महादेव”
आलेख

प्राचीन धरोहर “देवरा महादेव”

मंगलेश सोनी मनावर जिला धार (मध्यप्रदेश) **********************                                      मध्यप्रदेश में धार जिले के मनावर तहसील में अवलदा से आगे देवरा नामक गांव में एक अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर विद्यमान है, जिसका इतिहास १०-११ वीं शताब्दी का माना गया है। यह मंदिर राजा यशोवर्मन द्वारा निर्मित बताया जाता है, यशोवर्मन परमार वंश के राजा हुए जिस परमार वंश ने कई दशकों तक मांडव व मालवा पर राज्य किया। उस समय भी मांडव एक दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया गया था, जहां शिकार, विश्राम व प्राकृतिक आनंद के लिए राजा महाराजा आया करते थे। देवरा स्थित महादेव मंदिर की भौगोलिक स्थिति की चर्चा करें तो हम देखेंगे कि यह मंदिर एक छोटी सी धारा के पास स्थित है, यह धारा मानव निर्मित है अर्थात इस मंदिर की विशेषता इस बात से सिद्ध होती है कि मंदिर व आस-पास की बसाहट के जीवन यापन हेतु इस जलधारा को निर्म...
पिता का श्राप
सत्यकथा

पिता का श्राप

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मालगुजारी का समय। पटवारी रामशंकर। खानदानी पटवारी। पुरानी मैट्रिक पास। ७० बीघा के काश्तकार। गीता पाठी, शास्त्रों के जानकार। इकलौती संतान होने से नौकरी नहीं की। पिता के स्वर्गवासी हो जाने पर पटवारी बन गए। पूरा गांव उन्हें पटवारी जी कह कर बुलाता। बड़ी मान मन्नत के बाद लड़का हुआ। पूरे गांव में मिठाइयां बांटी। समय गुजरने लगा। पटवारी जी के पिता शांत हो गए। कुछ समय बाद पटवारी जी की पत्नी भी शांत हो गई। बेटा सुरेश २० वर्ष का हो गया था। पटवारी जी ने पास के ही गांव के प्रतिष्ठित परिवार में सुरेश की शादी कर दी। सुरेश की पत्नी उषा स्वभाव से तेज थी। समय के साथ साथ पटवार जी थक गए। पटवारी जी को आंखों से कम दिखाई देने लगा। पटवारी जी मीठा खाने के शौकीन थे। उनकी माली हालत भी ठीक थी। सुरेश स्वाभाव से चिड़चिड़ा था। खेती-बाड़ी का सारा कारोबार सुरेश...
दमन
लघुकथा

दमन

प्रदीप कुमार अरोरा झाबुआ (मध्य प्रदेश) ******************** "सुन बे छुट्टन," "थोड़े प्याज के टुकड़े और ले के आ।" झोपड़ीनुमा ढाबे में ठेठ पीछे की ओर परंपरागत पाट वाली खाट पर बैठे ट्रक ड्रायवर की आवाज सुनकर आठ वर्षीय दीनू चौक उठा। किसी और दुनिया में मगन, तख्ते पर फैले पलेथन (सूखे आटे) पर अभ्यास हेतु कुछ अक्षर उकेर रही उसकी अंगुली अचानक थम गई। पिता ने रोटी बेलते-बेलते आँखें तरेरी। दीनू सहम गया। गरीब की जिंदगी के जटिलतम ग्रंथ का सार दीनू ने तत्काल पढ़ लिया। शराब की गंध दीनू के स्वर्णिम स्वप्नों पर हावी होती चली गई। परिचय :- प्रदीप कुमार अरोरा निवासी : झाबुआ (मध्य प्रदेश) सम्प्रति : बैंक अधिकारी प्रकाशन : देश के समाचार पत्रों में सैकड़ों पत्र, परिचर्चा, व्यंग्य लेख, कविता, लघुकथाओं का प्रकाशन , दो काव्य संग्रह(पग-पग शिखर तक और रीता प्याला) प्रकाशित। सम्मान : अटल काव्य सम...