किसान
डॉ. भगवान सहाय मीना
जयपुर, (राजस्थान)
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भूमि पुत्र के छालों से सजे हाथ देख लेते।
कृषि बिल से पूर्व कूछ कृषक से पूछ लेते।
जन्म मां ने दिया पोषण अन्नदाता ने किया,
कुलिस कर्म उस हलधर को पहचान लेते।
रोती जिसकी खुशियां सूदखोर की चौखट पर,
सदियों से मौन सह रहा संताप उसे जान लेते।
गरीबी, भूखमरी, कष्ट-कसक ही परिजन,
वेदना अंतहीन श्रमरत हलवाह देख लेते।
कंटकाकीर्ण पथ पर बेचता आशाओं को,
तन हड्डियों की गठरी कृषिजीवी जान लेते।
तलाश करता सुकुन धरा चीरकर जो,
कर्म के रथ पर आरूढ़ हो आह! सह लेते।
अच्छे दिन की आस में बनाकर सरकार तुम्हारी,
महाजन की बही में अंगुठा गिरवी रख देते।
श्रमसाधक चित्रकार जो सबकी जिंदगी का,
अन्नदाता धरती का रखवाला पहचान लेते।
परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार)
निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान
घोषणा पत...