बाल श्रम
सपना
दिल्ली
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आओ मिलकर हम सब
सुंदर भारत का निर्माण करें....
किसी बच्चे का दामन
न छूटे अपने बचपन से
रोंदे न कोई उसके सपनों को
बाल श्रम के घन से
कोई छीने न इनसे इनका भोलापन
फिर न कोई छोटू मज़बूर हो
दुकान पर दिन रात
काम करता दिखे....
कड़कड़ाती ठंड में
काँपते हाथों से लोगों को
चाय बाँटता मिले ....
...ऐसी ही कहानी
लक्ष्मी की भी होगी
गुड्डों से खेलने की उम्र में
दूसरों के यहाँ
झाड़ू- पोंछा करना होता होगा
दिल उसका भी पसीजता होगा..
ज़रा ज़रा सी बात पर
रोज़ मार वह खाती होगी....
..चन्दू की भी यही कहानी होगी
पढ़ने लिखने की बजाए
सड़कों पे पेन, किताब बेचता फिरेगा
यक़ीनन मन उसका भी करता होगा
वह भी कागज़ पर कुछ अपनी
मन की लिखे....
....पर भूखा ज़िस्म लिखना भूल
काम पर फिर लग जाता होगा।
आओ सब संकल्प करें
अब संकल्प करें
मिटायें देश से बाल श्रम को
थामकर इनका हाथ
इनका सहारा हम बनें...
देश में ऐसा म...