मैं शून्य हूँ
शिवदत्त डोंगरे
पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
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मै शून्य हूँ
अपूर्ण हूँ
पूर्ण होने की
कोई चाह भी नहीं
मेरा ख़ुद का
कोई वजूद नही
कोई अहंकार नहीं
कोई आग्रह भी नहीं
कोई शिकायत भी नहीं है
कोई चाहत भी नहीं है
मै तनहाई में भी
अकेला नहीं होता
और भरी महफिल
में भी मेला नहीं होता
मेरा कोई मोल नहीं है
मै सत्ता के गलियारों
मे नहीं मिलता
मैं दुनिया के बाजारों
मे नहीं मिलता
मैं तपस्वी के मन
मे मिल सकता हूँ
मै निर्जन वन
मे मिल सकता हूँ
मैं आकाश के सुनेपन
में मिल सकता हूं
मै किसी के अकेलेपन
मे मिल सकता हूँ
तुम शून्य को अपने मे से
घटा भी दोगो तो तुममे
कुछ कम नहीं होगा
हाँ तुम
चाहो तो मुझे
अपने में
मिला सकते हो
कुछ मै तुम
में जुड़ जाऊंगा
कुछ तुम मुझ
में जुड़ जाना।
परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक)
पिता : देवदत ...



