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कुछ सिखा है

डॉ. राजीव डोगरा “विमल”
कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
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टूटे हुए लफ्ज़ों को
बटोर कर मैंना
लिखना सिखा हैं।
बहतें अश्कों के
दरिया में डूबकर
मैंना तैरना सिखा है।
जिस मिट्टी में
मेरे अपनों ने ही
मुझे मिट्टी किया,
उस मिट्टी से मैंना
खुद को ढालना सिखा हैं।
जिस ऊंचाई के
अहं में लोगों ने
मुझे नीचे गिराए,
उस ऊंचाई के भी
आसमाँ को मैंना
छूना सिखा है।
मुकाम-ऐ-दौर में
अपनों से ही मुझे
जो ठोकरें मिली,
उन ठोकरों से मैंना
आगे बढ़ना सीखा हैं।

परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा “विमल”
निवासी – कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
सम्प्रति – भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।



 

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