ये नियति का लगान है
प्रदीप कुमार अरोरा
झाबुआ (मध्य प्रदेश)
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ज़ख्म लगे होने हरे,
औ' चेहरे पर मुस्कान है,
तुम कहो पीड़ा है मेरी,
मैं मानूँ ये इम्तिहान है।
जिंदगी होने का सबब,
सिर्फ खुशी होती नहीं,
यह सफर है सुहाना,
कहीं बाग है, वीरान है।
धैर्य साहस से जुटा हो,
आनंद भी वही पायेगा,
बोझ सर लेकर जो बैठा,
वही सदा परेशान है।
अपने खातिर जी लिया,
औरों का भी ख्याल कर,
कुछ त्याग-पीड़ा भोग ले,
ये नियति का लगान है।
परउपदेश कुशल बहुतेरे,
आसानी से कह दिया,
क्या कहे 'प्रदीप' उन्हें,
वे समझे-बुझे नादान है।
परिचय :- प्रदीप कुमार अरोरा
निवासी : झाबुआ (मध्य प्रदेश)
सम्प्रति : बैंक अधिकारी
प्रकाशन : देश के समाचार पत्रों में सैकड़ों पत्र, परिचर्चा, व्यंग्य लेख, कविता, लघुकथाओं का प्रकाशन , दो काव्य संग्रह(पग-पग शिखर तक और रीता प्याला) प्रकाशित।
सम्मान : अटल काव्य सम्म...

























