चैन से जीने की वो …
रामेश्वर दास भांन
करनाल (हरियाणा)
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दौलत-शौहरत पास से सब, अब जाती रही,
थी उम्मीद जिससे, वो उम्मीद भी अब जाती रही,
गमगीन माहौल बना दिया, वक्त ने अब तो चारों और,
तबीयत खराब रहने से, जीने की रोशनी भी अब जाती रही,
दूर हो गये हैं सभी अपने,हालात देखकर अब यहांँ,
आकर मिलने की उम्मीद, उनसे अब जाती रही,
बनाई थी जो पहचान उम्र भर, ज़माने में यहाँ,
वो पहचान भी पास से, दूर अब जाती रही,
कभी हौंसला होता था, देखकर उनको भान,
हालात देख उनके, मेरी हवा भी अब जाती रही,
गम मुझे भी है ये सब हो गया, नज़रों के सामने,
मेरे दिल की भी वो उमंग, अब जाती रही,
ना कर्जदार बनाना, ए ख़ुदा ज़माने का कभी,
चैन से जीने की वो फितरत भी, अब जाती रही,
परिचय :- रामेश्वर दास भांन
निवासी : करनाल (हरियाणा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मे...