नूतन किसलय खिलते उपवन
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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नूतन किसलय खिलते उपवन,
आह्लादित होता तन-मन है।
नव उजास लाया है दिनकर,
नवल वर्ष का अभिनंदन है।
नवल शांति की सरगम गूँजे,
विषधर आंतकी दम तोड़े।
सुघड़ चाँदनी शशि की बिखरे,
दूर तिमिर-घन हो कर जोड़े।।
नव उमंग है नव तरंग भी,
मस्तक लक्ष्यों का चंदन है।
आत्म-शक्ति के पावन पथ में,
नव चिंतन का गंगाजल भी।
उर सुरभित है कुसुमाकर -सा,
पुलकित ममता का आँचल भी।।
सद्भावों की नवल ज्योति में,
यश-वैभव का गठबंधन है।
नवल सृजन मनभावन कवि का,
सत्य-अहिंसा पथ दिखलाए।
धर्म-वेद की प्रखर ऋचाएँ,
अंतस में विश्वास जगाए।।
हुए संगठित भेद त्याग कर,
सौगात मिली अपनापन है।
नव निखार जीवन में आए
कर लो स्वागत आगत का।
नव कीर्ति की फैले पताका,
नाम विश्व में हो भारत का।।
उत्कर्षों की ज्योति जली है,
भोर सुखद आई आँगन है।
परि...













