पनघट
डॉ. भावना सावलिया
हरमडिया (गुजरात)
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विष्णुपद छंद
दृश्य सुहाना पनघट पर का, चहल-पहल सारी,
चली नीर भरने पनिहारी, ले गगरी भारी,
पायल को छनकाती चलती, कटि को लचकाती,
खंजन नैनों से दिख के वो, हिय में शरमाती ।
पायल की झनकार जगाती, प्रीत युवा दिल में,
भ्रमर मंडराते हैं मानो, पनघट के स्थल में,
बीच घोर घन कुंतल दिखती, चंद्र-मुखी प्यारी,
घायल सबको करती चलती, मधु मुसका न्यारी।
छोटी-सी ठोकर से छलके, निर्मल जल घट का,
मानो नीलांबर है बरसे, खोल स्नेह पट का,
बूँद मोतियों-सी सिर पर से, अधरों पर ठहरी,
पँखुडी पर शबनम मोती-सी, शोभित है गहरी।
परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया
माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया
पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया
जन्म तिथि : ३ अप्रैल १९७३
निवास : हरमडिया, राजकोट सौराष्ट्र (गुजरात)
शिक्षा : एम्.ए, एम्.फील, पीएच. डी, जी...