नित्य योग अपनाए
रेखा कापसे "होशंगाबादी"
होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)
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रोला छंद
नित्य करो तुम योग,
निरोगी नियमित काया।
तन-मन दोनों स्वस्थ,
श्वास की निर्मल छाया।।
प्रात: प्राणायाम,
भ्रामरी शीतल बोधक।
नित अनुलोम विलोम,
कहाए नाड़ी शोधक।।
योगासन शुभ लाभ,
विश्व में ख्याति जमाए।
भोर काल में योग,
रक्त संचरण बढ़ाए।।
नियमित कपालभाति,
शांति तन-मन में भरता।
मुख आभामय ओज,
पाच्य उत्तेजन करता।।
आसन योग अनेंक,
भिन्न मुद्रा से निर्मित।
न्यून करे तन भार,
वसा को करे नियंत्रित।।
चिंता तनाव नष्ट,
क्रोध छू-मंतर करता।
काया ऊर्जावान,
बढ़े प्रतिरोधक क्षमता।।
योग लाभ अतिरेक,
रखे मानव अनुशासन।
प्रात: संध्याकाल,
नियम से हो सब आसन।।
योगासन पश्चात,
स्नान मत तुरंत करना।
सर्दी खाँसी शीत,
जकड़ लेती है वरना।।
परिचय :- रेखा कापसे "होशंगाबादी"
निवासी - होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)
घो...














