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आंचलिक बोली

सुघ्घर कातिक के महिना
आंचलिक बोली

सुघ्घर कातिक के महिना

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी भाखा म लोक गीत के रचना हावय भिनसरहा के बेर मा, कर कातिक असनान । पूजन कर भगवान् के, कर ले ओकर ध्यान ।। सूरूज ला दे के अरघ, कर जीवन उजियार । इही सनातन धर्म के, बने हमर संस्कार ।। जल दे के शिव के करें, हाथ जोर परनाम । बिगरे सबो संवारहीं, पूरन करहीं काम ।। कच्चा दूध अऊ बेल के, ले के पाती हाथ । शिव शंकर ला ले मना, अपन नवा के माथ ।। पूजा तुलसी मात के, फूल पान के संग । जिनगी मा सुख के संगी, भर जाही सब रंग ।। धनतेरस शुभ वार हे, धनवंतरि महराज । माँ लक्ष्मी पूरन करें, सबके बिगरे काज ।। देवारी के रात मा, जगर बगर परकास । माटी के दियना बरे, करे जगत उजियास ।। गोवर्धन पूजा करें, बइला भात खवांय । जतको घर परिवार के, मिल के भोग लगाएं ।। महिमा पुन्नी के संगी, कतका करंव बखान । अं...
अंगा री हड़ताल
आंचलिक बोली

अंगा री हड़ताल

राम प्यारा गौड़ वडा, नण्ड सोलन (हिमाचल प्रदेश) ******************** एक्क दिन सबीं अंगा ने बैठक बुलाई... सोचि बचारी के, गल्ल गलाई। ऐ पेट नहीं करदा, काम्म ना कार,,,,, जेब देखो, खाई के रोटी, मारुंआं डकार। सारा दिन हांए, मरदे-खपदे।। थकि के हुई जाउंआं बुरा हाल। पैरा ने आपणी तौंस जमाई, हांए, हांडि फिरि के करुंए कमाई। हाथ्थां ने भी दुखड़ा सुणाया... खाणे-पिणे रियां चिजां ल्याओ, तेब ऐस पापी पेटो तिकर पहुंचाओ, पर बसर्म पेटो ने कदि जस नी गाया। नाक, कान्न, जीब बी तुनके, आकड़ि के बोले,,,,, आलसी पेटो जो देयो दो-चार छुनके। दान्दा ने भी दांद द्खाए... ऐ-पेट, खसमां जो खाए।। करि के हड़ताल...बोले.. मोटा पेट हाए-हाए। चंउं दिन्ना बाद, अंगा री अक्ल ठकाणे आई।। पैर अकड़े, हाथ्थ सुकड़े, कान्ने सुणणा बंद। हाखिं री बी हालत माड़ि, जीब सुकिगी सारी। सिर चकराया, कांदा नाल टकराया।। पंजुए दिन्...
स्याणे री पिलसण
आंचलिक बोली

स्याणे री पिलसण

राम प्यारा गौड़ वडा, नण्ड सोलन (हिमाचल प्रदेश) ******************** देखि के न्याणेयां शोर मचाया, बोले ! डाकिया आया-डाकिया आया। स्याणे सोचेया .... जरूर मेरी पिलसण ल्याया, डाकिये चिट्ठी हाथ्थो थमाई, स्याणे रे पोपल़े मुंए रौणक आई। बोल्या, सुकर आ, मेरी पिलसण आई, डाकिये ने समज्याया....बाबा ! चिट्ठी बंको री.... आज्जां तेरी पिलसल नी आई। सुणि के स्याणी,बऊ, पाऊ, स्याणे रे बक्खो गए आई। बऊए चिट्ठी पड़ी के सुणाई.... बोली --बंको ते करिसी कारड, तिन्न लख लौन आ लऊरा। ना मूल़ ना ब्याज ...चार साल ते एक्क बी पैसा नींयां टाउरा। ऐते करिके लीगल नोटस आ आउरा, सुणि के स्याणे रा सिर चकराया, बोल्या--देखो लोको ! ल्वादा री करतूत, सारे पैसे नसेयां च फुक्कै, तेबेई करजे रा सिरो परो चड़ेया पूत। लाम्बा साअ लेई स्याणा ग्लाया,,,,, मैं सोचेया बुढ़ापा पिलसण आई, पर ये थी नलैक पाऊए री कमाई।। परिचय :-...