हे प्रेम जगत में सार
डोमेन्द्र नेताम (डोमू)
डौण्डीलोहारा बालोद (छत्तीसगढ़)
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हे प्रेम जगत में सार कोई सार नही,
मन करले प्रभु से प्यार और कोई प्यार नही।
भाव का भूखा हूं मैं भाव ही एक सार है,
भाव से मुझको भजे तो समझो बेड़ा पार है।
प्रेम के कारण ही भगवान श्रीराम जी,
ने शबरी के यहां जूठे बेर को खाए।
प्रेम कारण ही श्री-कृष्णा जी ने विदूर,
के यहां केले के छिलके के भोग लगाए।
प्रेम न उपजे बाड़ी में प्रेम न बिके बाजार,
प्रेम करले उस परमात्मा से करेगें बेड़ा पार।
परिचय :- डोमेन्द्र नेताम (डोमू)
निवासी : मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा जिला-बालोद (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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