द्रुतविलम्बित छंद-वर्णिक छंद
ज्ञानेन्द्र पाण्डेय "अवधी-मधुरस"
अमेठी (उत्तर प्रदेश)
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द्रुतविलम्बित छंद-वर्णिक छंद
समवृत्तिक (दो-दो चरण- समतुकान्त)- नगण+भगण-भगण+रगण- १२वर्ण
पवन-पुत्र कपीश बलीस हैं ।
लखन प्राण निवारक अनीस हैं ।।
हरन शोक सिया त अशोक हैं ।
तरन सिंधु विशाल विशोक हैं ।।
कपिस केश सुबाहु बलिष्ठ हैं ।
कनक देह सुशोभित मिष्ठ हैं ।।
अमित विक्रम अम्मर साहसी ।
जगत रक्षक साधक जापसी ।।
सच कहा भल सज्जन वानरा ।
कर भला जब ही भल डाबरा ।।
नित करो हनु का जप ध्यान से ।
मनन तर्पण-अर्पण मानसे ।।
पनपती विष वल्लरि द्वार है ।
विपति-साँसति फैलति झार है ।।
सुखद भाव भरे कर दो शुभा ।
पतित-पावन रूप चलो निभा ।।
चहुँमुखी सुरसा मुँह खोलती ।
प्रगति पंथ खड़ी नित रोकती ।।
कुशल, कौशल आकर मोइए ।
चहुँदिशा यश-वैभव जोइए ।।
अनीस- सुप्रीम , मिष्ठ- पुण्यात्मा , डाबरा मीठे लड्डू
परि...











